इस दुर्लभ सांप का नाम रेड कोरल कुकरी (Red Coral Kukri Snake) है। सावन के महीने में इसके दोबारा इतने साल बाद नजर आने से लोगों समेंत टाइगर रिजर्व के अधिकारी भी काफी खुश हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दुधवा टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर ने बताया कि प्रजाति का सांप 1936 में पहली बार दुधवा में ही देखा गया था। उसके बाद से करीब 82 साल के बाद दोबारा इस सांप के दर्शन हुए हैं। ये एक अच्छा संकेत है।
रेड कोरल प्रजाति के सांप शर्मीले स्वभाव के होते हैं। ये जहरीले नहीं होते हैं इसलिए ये ज्यादा किसी पर हमला नहीं करते हैं। इनके दांतों की बनावट नेपाल में पाई जाने वाली कुकरी की तरह होती है। ये ठंड और बरसात के समय चूहे के बिल या पेड़ आदि पर बनी सुरक्षित जगह में रहना पसंद करते हैं। ये रात में ज्यादा सक्रिय होते हैं। ये देखने में काफी चमकीले होते हैं। यह कोबरा सांप की तरह फन नहीं निकाल सकते है। ये रेंगने वाले छोटे कीड़ों को अपना भोजन बनाते हैं।