इतना ही नहीं कुछ दिनों पहले बिहार के लालबंदी नेपाल बॉर्डर (Lalbandi Nepal Border) पर नेपाली पुलिस ने एक भारतीय को गोली मार दी थी। गोली लगने की वजह से युवक की मौत हो गई। नक्शा विवाद के बीच हुई इस घटना ने भारत-नेपाल रिश्तों (india nepal relations) में कड़वाहट घोल दी है। बिहार के सीमावर्ती गांव जो नेपाल को अपना मानते हैं इस घटना के बाद उनमें बहुत गुस्सा है।
बिहार के दरभंगा में जन्म लेने वाले परमानंद झा )Parmanand Jha) नेपाल के पहले उपराष्ट्रपति बने थे। उन्होंने पांच साल पहले कहा था, अगर स्थिति नहीं बदली तो भारत और नेपाल के बीच रोटी बेटी का संबंध इतिहास बन कर रह जाएगा। उनकी आशंका अब सच होती लग रही है।
दरअसल, बिहार के सात जिलों- सीतामढ़ी, पूर्वी चम्पारण, पश्चिमी चम्पारण, मधुबनी, अररिया, किशनगंज, सुपौल की सीमा नेपाल से मिलती है। नेपाल के दक्षिणी भाग मधेश के कई जिले बिहार और उत्तर प्रदेश की सीमा से मिलते हैं। इसलिए बिहार के लोग के लोग मधेश को अपना ही मानते हैं। मधेश और बिहार-यूपी में भाषा से लेकर खान-पान में बहुत समानता है। इतना ही नहीं कई लोगों मधेश में रिश्तेदारी भी है।
साल 2016 तक पहले नेपाल में दोहरी नागरिकता का प्रवाधान था। बिहार-यूपी के किसी गांव की लड़की का विवाह अगर नेपाल में होता था तो उसे नेपाल की नागरिकता मिल जाती थी। लेकिन 2017 में नेपाल की सरकार दोहरी नागरिकता को खत्म कर दिया। नए नियम के मुताबिक अगर कोई भारतीय लड़की नेपाल में शादी करती है और उसे नेपाल की नागरिकता चाहिए तो उसे भारत की नागरिकता को छोड़ना पड़ेगा।
इतना ही नहीं उसे नेपाल के किसी समाचार पत्र में शादी का ब्योरा भी प्रकाशित कराना होगा। इसके बाद उसे नेपाली नागरिकता के लिए आवेदन देना होगा। ऐसे में अब बहुत कम लोग ही नेपाल में अपनी लड़की की शादी करते हैं।
राम-सीता के जमाने से है नेपाल से दोस्ती
नेपाल का भारत से सदियों पुराना रिश्ता रहा है। बताया जाता है कि जनकपुर पुत्री माता सीता का जन्म सीतामढ़ी के पुनौरा गांव में हुआ था। जनकपुर प्राचीन मिथिला की राजधानी थी और जनक मिथिला के राजा थे। इसके बाद उन्होंने साती का विवाह अयोध्या के राजा श्रीराम के साथ कर दिया। ऐसे में दोनों देशों में और अच्छे संबंध हो गए।
इसके अलावा नेपाल के रहने वाले और भारत में पढ़ाई करने वाले डॉ. रामवरण यादव नेपाल के पहले राष्ट्रपति बने थे। उन्होंने कोलकाता से मेडिकल की पढ़ाई की थी। रामवरण जी के अलावा दरभंगा में जन्म लेने वाले परमानंद झा पाल के पहले उपराष्ट्रपति बने थे। लेकिन समय के साथ नेपाल में वामदल प्रभावी होता गया और चीन के इशारे पर चलने लगा। हालंकि अभी भी भारत ही उसके सबसे अधिक मदद कर रहा है।