गोरखा बटालियन को देश की सबसे खतरनाक रेजिमेंट कहा जाता है क्योंकि ये देश के किसी भी दुश्मन पर रहम नहीं करते हैं और उन्हें निर्ममता से मौत के घाट उतार देते हैं और यही वजह है कि दुश्मन इनका सामना नहीं करना चाहते हैं।
गोरखा रेजिमेंट की शुरुआत 24 अप्रैल 1815 को हुई थी और आज इसे बने हुए पूरे 204 साल हो चुके हैं। जब इस रेजिमेंट का गठन हुआ था ये ब्रिटिश इंडियन आर्मी के लिए काम करती थी। इस रेजिमेंट में नेपाली गोरखा जवानों को लिया जाता है और उन्हें इतनी कड़ी ट्रेनिंग दी जाती है कि वो दुश्मनों के लिए काल बन जाते हैं।
जो मौत से ना डरे वो गोरखा ऐसा कहा जाता है कि अगर कोई आपसे कहे कि वो मौत से नहीं डरता है तो वो या तो झूठ बोल रहा होता है या फिर वो शख्स एक गोरखा होगा। ये बातें सिर्फ कहावत या किस्से नहीं हैं बल्कि समय-समय पर गोरखा जवानों ने इस बात को साबित किया है कि वो दुश्मनों के लिए काल हैं और उनके लिए कोई रहम नहीं करते हैं।
गोरखा भाषा में एक कहावत है ‘कायर हुनु भन्दा, मर्नु राम्रो’, इसका मतलब है कि कायरता की जिंदगी जीने से बेहतर है मरना और गोरखा इसी सिद्धांत पर काम करते हैं और दुश्मनों से बड़ी ही बहादुरी से मुकाबला करते हैं।
ये है गोरखा जवानों की खासियत