यदि कॉमन लैंग्वेज में समझा जाए तो को-मार्केटिंग वह आइडिया है जिसमें दो या दो अधिक कंपनियां एक दूसरे के कंटेंट या प्रोडक्ट की जानकारी को अपने प्लेटफॉर्म पर शेयर करती हैं। ऐसे प्रमोशन के जरिए जो रिजल्ट आते हंै उन्हें पार्टनरशिप करने वाली कंपनियां आपस में शेयर कर लेती हैं। इसमें रेवेन्यू से लेकर कस्टमर डेटा या अन्य प्रकार के रेस्पॉन्स सम्मिलित होते हैं। मार्केटिंग एक्सपर्ट के अनुसार अधिकतर को-मार्केटिंग एग्रीमेंट में रेवेन्यू शेयर को बहुत कम शामिल किया जाता है। इसमें प्रमुख रूप से डेटा शेयरिंग, अवेयरनेस और कंटेंट को लेकर अधिक ध्यान दिया जाता है। को-मार्केटिंग कॉन्सेप्ट का सबसे अधिक उपयोग स्टार्टअप कर रहे हैं।
सामान्य रूप से को-मार्केटिंग की प्लानिंग करते समय स्टार्टअप समान सेक्टर में काम करने वाली कंपनियों का सलेक्शन करते हैं लेकिन एक जर्मन बिजनेस स्कूल के सर्वे के अनुसार को-मार्केटिंग में पार्टनर के सलेक्शन में यदि विविधताओं को प्राथमिकता दी जाए तो यह कॉन्सेप्ट ज्यादा फायदेमंद होगा। जैसे कि समान सेक्टर वाले पार्टनर के स्थान पर स्टार्टअप को उन कंपनियों को भी प्रमुखता देनी चाहिए, जिनके कस्टमर आपके प्रोडक्ट या सर्विस के साथ अप्रत्यक्ष तौर पर भी सबंध रखते हो।
जब भी आप किसी अन्य कंपनी के साथ इस कॉन्सेप्ट पर काम करें तो आपको एक लिखित एग्रीमेंट करने की जरूरत है। इसमें को-मार्केटिंग का समय, क्या शेयर करना है, उसकी जानकारी, ट्रेनिंग आदि बातों की विस्तृत जानकारी होनी चाहिए। वहीं यदि आप जॉइंट इवेंट या कॉन्फ्रेंस भी प्लान कर रहे हैं तो उनका भी उल्लेख होना चाहिए। इसके अलावा आप या आपकी पार्टनर कंपनी एग्रीमेंट समय में कोई अन्य प्रोडक्ट या सर्विस लाने जा रहे हैं तो क्या वह भी इसी एग्रीमेंट में सम्मिलित होगा या नहीं सहित विभिन्न पहलुओं का ध्यान रखें।
जो भी मार्केटिंग कंटेंट शेयर होगा, उसका गुणवत्तापूर्ण होना जरूरी है क्योंकि कंटेंट ऐसा नहीं होना चाहिए, जिससे कि आपकी या पार्टनर कंपनी का टारगेट कस्टमर प्रभावित हो। यदि आप पार्टनर कंपनी की मार्केटिंग टीम के साथ बैठकर ही इस सबंध में प्लानिंग करें तो यह बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। ओरिजनल कंटेंट का ही प्रयोग करें साथ ही जो कंटेंट आप स्वयं के प्लेटफॉर्म पर पहले यूज कर चुके हैं उसे इस कॉन्सेप्ट में इस्तेमाल ना करें।