बीते दिनों भारत-चीन ( India China Tension ) के बीच लद्दाख सीमा ( Ladakh Border ) के गलवान घाटी ( Galwan Valley ) में दोनों देशों में हिंसक झड़प हुई थी। इस झड़प में भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों को बुरी तरह शिकस्त दिया था।लेकिन चीन को ये शिकस्त नागवार गुजरी। अपनी हार से बौखलाया चीन ( China ) अब भारत में अशांति फैलाने के लिए आतंकियों का सहारा ले रहा है। इसी के साथ-साथ चीन कूटनीतिक तौर पर भारत के सभी पड़ोसियों को भी उकसा रहा है।
पूरी दुनिया को पता है कि भारत से बचने के लिए पाकिस्तान हमेसा से चीन का सहारा लेता रहा है। लेकिन अब पचा चला है कि भारत में अशांति फैलाने के लिए चीन पाकिस्तान ( Pakistan ) के नक्शे कदम पर चलते हुए आतंकियों का सहारा ले रहा है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन म्यांमार के सबसे खतरनाक टेटर ग्रुप को भारत में आतंक फैलाने के लिए पैसे, हथियार के साथ-साथ ट्रेनिंग भी दे रहा है। इस टेरर ग्रुप का नाम है अराकान आर्मी। चीन को लगता है कि टेरर ग्रुप की आर्थिक मदद कर वे भारत के हालात खराब कर सकेगा।
कौन है अराकान आर्मी ?
अराकान आर्मी म्यांमार का सबसे खतरनाक टेरर ग्रुप है और ये चीन से सटे हुए हिस्से राखिन स्टेट में काम कर रहा है। ये ग्रुप साल 2009 में बना था और देखते ही देखते म्यांमार का सबसे बड़ा सशस्त्र आतंकी समूह बन गया। इसे खुद म्यांमार की एंटी-टेररिज्म कमेटी ने देश की सुरक्षा के लिए खतरा बताया है।
म्यांमार सरकार का कहना है कि यह एक चरमपंथी संगठन है जिसके नेता विदेश से प्रशिक्षण लेते हैं। अंतरराष्ट्रीय संकट समूह (आईसीजी) ने 2016 में जारी अपनी एक रिपोर्ट में भी यह दावा किया कि अराकान आर्मी के लोग सऊदी अरब में रह रहे हैं।
अराकान आर्मी संगठन रोहिंग्या मुस्लिम अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए सालों से संघर्ष कर रहा हैय़ इसके साथ ही संगठन पुलिस, सेना के अलावा आम लोगों पर भी लगातार हमले करने के लिए कुख्यात रहा है। हालांकि आतंकी संगठन का कहना है कि उसने आम लोगों पर हमला नहीं किया और वो सिर्फ बौद्ध बहुमत के दमन के खिलाफ हथियार उठाता है।
चीन उठा रहा फायदा
चीन अराकान आर्मी की मदद से म्यांमार सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। दूसरी ओर भारत से दुश्मनी भी चीन के इस काम के पीछे काम कर रही है। भारत-म्यांमार संबंध राजनैतिक और व्यापारिक दृष्टि से मजबूत रहे हैं। दोनों एक साथ 1640 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं। ऐसे में चीन एक तीर से दो निशाने की फिराक में है। माना जाता रहा है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और पीपल्स लिबरेशन आर्मी के अराकान आर्मी से काफी गहरे संबंध हैं। चीन इन्हें हथियारों, पैसों की सप्लाई के अलावा हथियार चलाने की ट्रेनिंग भी देता है।