चौधरी चरण सिंह ( Chaudhary Charan Singh ) का जन्म एक जाट परिवार में हुआ और उनके पिता किसान थे। साल 1937 में वो विधानसभा के सदस्य बने। वहीं 1928 में उन्होंने गाजियाबाद से वकालत शुरु की। इसके बाद वो हमेशा आगे बढ़ते गए और उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1954 में किसानों के हित में उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh ) भूमि संरक्षण कानून को पारित कराया। इसके बाद वो 3 अप्रैल 1967 को उत्तर प्रदेश के सीएम बने। हालांकि, 17 अप्रैल 1968 को उन्हें सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा। लेकिन इसके बाद उन्होंने अपने कदम प्रधानमंत्री पद की तरफ बढ़ाएं।
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वहीं कांग्रेस ( Congress ) और सीपीआई के समर्थन से जनता (एस) के नेता चरण सिंह 28 जुलाई 1979 को पीएम बने। इसके बाद राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी ने निर्देश दिया था कि चरण सिंह 20 अगस्त तक लोकसभा में प्लोर टेस्ट दें यानि अपना बहुमत साबित करें। लेकिन चरण सिंह को उस वक्त तगड़ा झटका लगा जब 19 अगस्त को इंदिरा गांधी ने इस बात कि घोषणा कर दी कि वो चरण सिंह की सरकार को संसद में बहुमत साबित करने में साथ नहीं देगी। ऐसे में चौधरी चरण सिहं ने बिना लोकसभा का सामना किए हुए अपने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। वो अपने पद पर रहते हुए कभी संसद नहीं गए। वो लगभग साढ़े पांच महीने तक पीएम पद पर बने रहे थे।