राजकुमारी कौल को दिल दे बैठे अटल जी ने 1940 के दशक में पहली बार उनसे मुलाकात की थी। अटल बिहारी वाजपेयी और राजकुमारी कौल दोनों कॉलेज में एक साथ पढ़ते थे। दोनों के बीच गहरी दोस्ती थी, जो न जाने कब प्यार में बदल गई। शर्मीले अटल राजकुमारी से अपने प्यार का इज़हार नहीं कर पा रहे थे, लिहाज़ा उन्होंने अपनी शक्तिशाली कलम से राजकुमारी के नाम एक प्रेम पत्र लिख डाला। लेकिन अफसोस अटल जी को राजकुमारी की ओर से उनके प्रेम पत्र का कोई जवाब नहीं मिला। जिसकी वजह से वे काफी परेशान और बेचैन हो गए थे। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जाता है कि अटल इस रिश्ते के टूटने से इतने दुखी थे कि उन्होंने कभी शादी ही नहीं की। इसके बाद अटल ने अपना जीवन संघ सेवा और राजनीति में लगा दिया।
अटल बिहारी के जीवन पर एक किताब लिखी गई, नाम था- “अटल बिहारी वाजपेयीः ए मैन ऑफ आल सीजंस”। इस किताब में वाजपेयी की जिंदगी के बारे में कई खुलासे हुए हैं। किताब के लेखक और पत्रकार किंशुक नाग ने लिखा कि राजकुमारी के सरकारी अधिकारी पिता ने उनकी शादी एक युवा कॉलेज टीचर ब्रिज नारायण कौल से कर दी। किताब के अनुसार राजकुमारी कौल अटल जी से शादी करना चाहती थीं, लेकिन घर में इसका जबरदस्त विरोध हुआ। अपने सपनों की राजकुमारी से बिछड़ने के बाद अटल जी एक बार फिर करीब दस साल के बाद राजकुमारी कौल से मिले।
राजकुमारी कौल को दिल्ली के राजनीतिक हलकों में लोग मिसेज कौल के नाम से जानते थे। हर किसी को मालूम था कि वो अटलजी के लिए सबसे प्रिय हैं। राजकुमारी कौल शादी कर चुकी थीं और अपने पति के साथ दिल्ली आ गईं। उनके पति रामजस कॉलेज में फिलॉस्फी के प्रोफेसर थे। यहां वह कॉलेज के हॉस्टल के वार्डन भी बने। बाद में अटल बिहारी वाजपेयी के साथ रहने आ गए थे। मोरारजी देसाई की सरकार में अटल बिहारी वाजपेयी विदेश मंत्री बने।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उनके लुटियंस जोन वाले बंगले में उस समय कई लोग जब अटल जी से मिलने जाते थे, तब उनको कौल परिवार उसी बंगले में दिखता था। इसका मतलब है कि अटल जी के साथ ही कौल परिवार उनके बंगले में शिफ्ट हो गया था। कॉलेज की मित्र राजकुमारी कौल से उनकी शादी तो नहीं हो सकी, लेकिन राजकुमारी की शादी के बाद भी दोनों साथ रहे और उनके रिश्ते को दोनों ने कोई नाम नहीं दिया। अटल जी का कद राजनीति में इतना बढ़ा था कि विरोधी दल और मीडिया कभी उनकी निजी में जिंदगी में तांकझांक नहीं कर सके।