रेलवे ने इसी जनवरी के पहले सप्ताह में एक प्रोजेक्ट तैयार किया है। इसे डीआरएम कार्यालय स्वीकृति के लिए भेजा है। इस प्रोजेक्ट रेलवे ने ‘रोडेंट कंट्रोलÓ नाम दिया है। इस की मूल थीम स्टेशन पर हर दिन बढ़ रही चूहों की तादाद को खत्म करना है। इस प्रोजेक्ट के तहत रेलवे चूहों को बिल में जानलेवा दवा डलवाने के बाद बिलों को सीमेंट के घोल से पैक कराने का काम बड़े पैमाने पर करेगी। इसके लिए टेंडर प्रक्रिया होगी और अनुभवी फर्म को यह काम दिया जाएगा। एक-दो माह में स्वीकृति मिलने की उम्मीद है।
जूठन और मालगोदाम ने बढ़ाई संख्या
रेलवे स्टेशन पर दिनभर में करीब 200 यात्री ट्रेनों की आवाजाही होती है। इन टे्रनों से बड़ी तादाद में यात्री खाद्य सामग्री ट्रेक पर फेंकते हैं। आसानी से खाद्य सामग्री मिलने के कारण जंक्शन पर चूहों ने अपना डेरा जमा लिया है। हजारों की तादाद में यहां बड़े आकार के चूहे हो गए हैं जो कई बार यात्रियों को काटने से भी नहीं डरते हैं। रेलवे ट्रेक किनारे दिनभर इन चूहों की सक्रियता आसानी से देखी जा सकती है।
प्लेटफॉर्म नंबर एक से लेकर प्लेटफॉर्म छह तक रेलवे ट्रैक से सटी दीवारों पर चूहों ने खासा कहर बरपाया है। इन दीवारों में हजारों की तादाद में छेदकर बिल बना लिए हैं। इन बिलों को 2 से लेकर 5 फुट की लंबाई तक में चूहों ने गहरा कर दिया है जिसमें अंदर ही अंदर मिट्टी धंसकने पर प्लेटफॉर्म पोले हो गए हैं। कोई हादसा न हो जाए इसी चिंता रेलवे विभाग ने इन्हें बिल में ही मारने की योजना बनाई है।
प्लेटफॉर्मों पर शेड का पानी रेलवे ट्रेक पर निकालने के लिए फर्श के अंदर पाइप डाले गए हैं। इन पाइपों को सूखे मौसम में चूहे अपना डेरा बना लेते हैं। चूहे प्रजनन काल में इन्हीं पाइपों में अपने बच्चे देते हैं जिससे वे सांप, कुत्ते या अन्य जीवों से सुरक्षित रहते हैं। सफाईकर्मियों के मुताबिक उन्होंने कई बार इन पाइपों में चूहों के बच्चों को देखा है। बरसात आने के पहले चूहे अपना डेरा रेलवे टे्रक की दीवार में बने बिलों में बना लेते हैं।
&जनवरी के पहले सप्ताह में हमने प्रस्ताव बनाकर भेजा है। भोपाल मंडल में चूहों को लेकर रेलवे का एक्शन मोड में आना पहला प्रयोग है। प्लेटफॉर्मों को नुकसान बचाने चूहों को उनके ही बिलों में खत्म कर बिलों को सीमेंट से बंद किया जाएगा।
एचएस तिवारी, एसएसई सीएंडडब्ल्यू, इटारसी
&यह बात सही है कि चूहे बड़ी समस्या बन गए हैं। जल्द ही इस समस्या से निपटने की तैयारी की जा रही है।
शोभन चौधुरी, डीआरएम भोपाल