कच्ची शराब बनाने के लिए शराब कारोबारी इसी लहन में नशा बढ़ाने के लिए मरे और सड़े गले जीवों को मार कर डालते हैं। वहीं कुछ मामलों में लहन के सडऩे की प्रक्रिया को तेज करने उसमें कुत्ते का मल मिलाने की भी बात सामने आई है। वहीं शराब बनाने के लिए भट्टी, खाली पीपा, एक पतीली, एक बोतल, दो फिट नली और एक पुरानी सूती साड़ी की जरूरत पड़ती है जो बजार में आसानी से मिल जाता है।
शराब के कारोबार से जुड़े लोगो ने बताया कि शराब में कम लागत पर अधिक मुनाफा मिलता है। एक किलो गुड़ से पांच बोतल शराब तैयार हो जाती है। एक बोतल सौ रुपए में बिक जाती है। शराब कारोबारी चालीस रुपए की लागत से तैयार की गई। उनकी पांच बोतल शराब पांच सौ रुपए में बिक जाती है।
लहन और शराब को जमीन के अंदर दबा रखा जाता है। इसका कारण शराब को लंबे समय तक सुरक्षित और पुलिस से बचाने के लिए लहन और शराब को खेतों के साथ सड़क किनाने गढ्ढो में दबा दिया जाता है।
वर्तमान कानून में कच्ची शराब बनाने में पकड़े जाने पर कठोर सजा का प्रावधान नहीं है। इस अपराध में कोर्ट अधिक तस्कर मामलों में जुर्माना लगा कर छोड़ देती है। सूत्रों की माने तो शराब के आरोपी कोर्ट में मजिस्टेट के हाथ पैर जोड़ कर माफी मांगने लेते हैं जिस में कोर्ट अभियुक्तों को पांच सौ रुपए से लेकर अधिक से अधिक दो हजार रुपए तक का जुर्माना जमा करने के आदेश देकर छोड़ देते है।