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होशंगाबाद

महंगे खाद-बीज से बचे,  तो अतिवृष्टि ने तोड़ी कमर

गत वर्ष की तुलना में खाद-बीज के बाजार भाव में ज्यादा अंतर नहीं, लगातार बारिश से खराब हुई बोवनी, कृषि विशेषज्ञों ने फिर से करने की दी सलाह

होशंगाबादJul 24, 2016 / 10:50 am

Sanket Shrivastava

farmer

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होशंगाबाद/इटारसी।
इस वर्ष खाद-बीज के भाव में गत वर्ष की तुलना में अधिक बढ़ोतरी तो नहीं हुई, लेकिन अतिवृष्टि ने किसानों की कमर तोड़ दी है। लगातार तेज बारिश ने जहां बोवनी का काम प्रभावित किया, वहीं अधिकतर किसानों को फिर से बोवनी करनी पड़ रही है।
कृषि विशेषज्ञ कुलदीप सिंह पटेल बताते हैं कि इस वर्ष खाद-बीज के दाम कुछ कम हुए, तो अतिवृष्टि ने बोवनी खराब कर दी। इससे उड़द, मूंग, सोयाबीन की पैदावार प्रभावित होगी। किसानों को नुकसान से बचने के लिए मूंग की फिर से बोवनी करनी चाहिए। ये बोवनी एक अगस्त से लेकर 10 अगस्त तक की जा सकती है।

खाद-बीज का बाजार भाव
-वर्ष २०१५ में डीएपी का बाजार भाव 1230 से 1280 रु. प्रति 50 किलो था, इस साल यह घटकर 1190 से 1205 रुपए हो गया है। इस वर्ष सोसायटी भाव 1203 रुपए है, जबकि गत वर्ष यह भाव 1230 से 1256 रुपए था।
– इस वर्ष यूरिया का बाजार भाव 305 रुपए प्रति 50 किलो है। गत वर्ष भी भाव इतना ही था।
सुपर फास्पेट का पिछले साल बाजार भाव 270 से 280 रुपए प्रति 50 किलो था। इस साल भाव २५० के आस-पास है। -सोसायटी भाव में भी कोई अंतर नहीं। सोसायटी भाव 305 रुपए है।
धान का बीज पिछले साल 45 से 55 रुपए प्रतिकिलो के भाव पर बिका था। इस साल इटारसी में भाव ६० रुपए प्रतिकिलो और होशंगाबाद में 50 रुपए के आस-पास है।
-सोयाबीन का बीज 6 से 7 हजार रुपए प्रति क्विंटल है। इसके बावजूद किसानों की पसंद की वैरायटी उपलब्ध नहीं है।
-मक्का का बीज पिछले साल 200-250 रुपए प्रतिकिलो भाव था। इस साल 200 से 300 प्रतिकिलो भाव है।
– मूंग के बीज का भाव पिछले साल के बराबर यानि 110 रुपए प्रति किलो है। अरहर के बीज का भाव पिछले वर्ष 150 रुपए प्रतिकिलो था। इस बार 200 रुपए प्रतिकिलो है।

क्या कहते हैं किसान
फेफरताल गांव के किसान रविशंकर मीना ने बताया कि उन्होंने तुअर व सोयाबीन बोया है। अतिवृष्टि से बोवनी खराब हो गई। बघवाड़ा के किसान राजनारायण रघुवंशी का कहना है कि खाद-बीज के दाम शेयर बाजार की माफिक कम-ज्यादा नहीं होने चाहिए। फिक्स रेट में खाद-बीज मिलें। ग्राम बमूरिया के राममोहन सिंह ने कहा कि अन्य चीजों की तुलना में खाद-बीज के दाम में सरकार को कमी करनी चाहिए।

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