फिल्मी दुनिया बाहर से भले चकाचौंध से भरपूर नजर आती हो, इसके भीतर अंधेरों के ऐसे टापू कम नहीं हैं, जो सितारों को घुटन, अकेलेपन और संत्रास की गुफाओं में धकेलते हैं। भारत में गुरुदत्त से लेकर सुशांत सिंह राजपूत तक पहुंचा आत्महत्याओं का सिलसिला इन्हीं टापुओं की तरफ इशारे करता है। मर्लिन मुनरो की तरह भारतीय फिल्मी सितारों की आत्महत्या की गुत्थियां भी नहीं सुलझ सकीं। किसी भी मामले में जांच उन कारकों को उजागर नहीं कर पाई, जो आत्महत्या के पीछे रहे होंगे। अमिताभ बच्चन की ‘निशब्द’ और आमिर खान की ‘गजनी’ में नजर आईं जिया खान की 2013 में आत्महत्या के बाद जो हो-हल्ला उठा था, तारीखों के साथ ठंडा पड़ गया। इससे पहले 1993 में बाल्कनी से गिरकर दिव्या भारती की मौत का मामला भी ‘हत्या, हादसा या आत्महत्या’ के बीच झूलते हुए ठंडे बस्ते में चला गया।
कई साल गायब रहने के बाद परवीन बॉबी अवसाद की हालत में मुम्बई लौटी थीं। उनके इस आरोप को ‘अस्थिर दिमाग की बड़बड़ाहट’ माना गया कि कोई उनकी हत्या करना चाहता है। जिस अपार्टमेंट में वे रहती थीं, वहां 2005 में उनका शव पाया गया। पता चला कि उनकी मौत 72 घंटे पहले हो चुकी थी। इस मौत के कारण भी रहस्य में लिपटे रहे। कभी ‘दक्षिण की सनसनी’ के तौर पर मशहूर सिल्क स्मिता (विद्या बालन की ‘द डर्टी पिक्चर’ इन्हीं की जीवनी से प्रेरित है) ने 1996 में तो मॉडल नफीसा जोसफ ने 2004 में आत्महत्या कर ली थी। इन दोनों मामलों की जांच भी ज्यादा आगे नहीं जा सकी।
राजेश खन्ना की ‘आनंद’ के एक गाने में जिंदगी को पहेली बताया गया था, जो कभी हंसाती है, कभी रुलाती है। लेकिन फिल्मी सितारों की आत्महत्याओं के मामलों में मौत इससे भी बड़ी पहेली साबित हो रही है। ताजा यक्ष प्रश्न यह है कि क्या सुशांत सिंह की मौत का राज कभी उजागर हो पाएगा?