टीबी की बात करें तो ये एक प्रकार से बैक्टेरिया के कारण होती है, इसे आमतौर पर माइक्रोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस भी कहा जाता है, इस बीमारी के संक्रमित होने का खतरा सबसे ज्यादा तब होता है जब टीबी की बीमारी का पीड़ित मरीज खांसता या छींकता है, और कोई आस-पास बैठे हुए दूसरा व्यक्ति इन ड्रॉप्लेट्स को इन्हेल कर लेता है। यदि टीबी की बीमारी का सही तरह से इलाज किया जाता है तो इस बीमारी से जल्द से जल्द निजात पा सकते हैं।
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-जब संक्रमित व्यक्ति को पता चल जाता है कि उसे टीबी है, ऐसे में उसे कोशिश करना चाहिए कि बाहर ज्यादा न निकलें, वहीं फेस में हमेसा मास्क लगा के रखें।
-संक्रमित व्यक्ति को कोशिश करना चाहिए कि कुछ हफ्तों तक अपने साथ किसी भी बच्चे को न रखें, वहीं अन्य सदस्य भी संक्रमित व्यक्ति से दूरी बना के रखें , क्योंकि ये बीमारी एक से दूसरे व्यक्ति को आसानी से फैल जाती है।
-कमरे को प्रॉपर तरीके से वेन्टीलेट करें।
-टीबी से बचने के लिए भीड़भाड़ वाले इलाकों में जाने से परहेज करें।
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-कोशिश करें कि शराब, सिगरेट का सेवन ज्यादा मात्रा में कभी न करें, क्योंकि ये भी टीबी की बीमारी का प्रमुख कारण बन सकते हैं।
-ट्यूबरकुलोसिस जिन जर्म्स की वजह से होता है वे अक्सर छोटे स्थानों में ज्यादा तेजी से फैलते हैं, ऐसे में कोशिश करें कि बंद स्थानों में ज्यादा देर तक न रहे, खिड़की को खोल के रखें ताकि अंदर की हवा बाहर निकल जाए।
-टीबी के मरीज कोशिश करें कि रोजाना मेडिटेशन, व्यायाम जरूर करें ताकि स्वास्थ्य से जुड़ी दिक्कतें दूर हो जाएँ।