बता दें कि ये केस अब तक के सबसे लंबे अंतराल तक चलने वाला कोविड केस रहा है, जबकि इससे पले डॉक्टरों को 335 दिन तक कोविड से जूझने वाले मरीज का पता थ्लाा। इस मरीज की इमयुनिटी भी कमजोर थी। लांग कोविड के लक्षण भी करीब उन लोगों में ज्यादा नजर आए जिनकी इम्युनिटी लो थी। ऐसे लोगों केा 73 दिनों तक कोरोना से लड़ना पड़ा था। कुछ एक साल तक भी बीमारी से गस्त रहे थे।
शरीर में ही कोरोना का होता रहा म्यूटेशन अचरज की बात ये रही कि लांग कोविड के मरीजों में वायरस के म्यूटेशंस होते रहे। लांग कोविड झेल रहे लोगों को लगातार ब्रिटिश डॉक्टर ट्रैक करते रहे और ये पाया कि उनके शरीर में वायरस का म्यूटेशन होता रहा। यानि कोई भी मरीज कोरोना से ठीक होकर दोबारा उसका शिकार नहीं हुआ। साथ ही समय जैसे-जैसे गुजरा, शरीर के अंदर वैसे-वैसे वायरस म्यूटेट होते गए। वैसे तो इनमें से कोई भी म्यूटेशन बेहद खतरनाक वैरिएंट नहीं बना, लेकिन वैज्ञानिकों का दावा है कि यही म्यूटेशंस कोरोना के ज्यादा फैलने वाले वैरिएंट्स में भी पाए गया।
कोरोना से 505 दिन लड़ने वाले की मौत 2021 में हुई
ब्रिटिश महिला कोरोना से 505 दिन तक लड़ती रही थी। इसकी वजह से उसका इम्यून सिस्टम कमजोर हो गया था। मरीजा के इलाज कर रहे डॉक्टर का कहना था कि महिला को 2020 में कोरोना संक्रमण हुआ था, जिसके बाद वह 505 दिन पॉजिटव ही रही और 2022 में उसकी मौत हो गई। इलाज के दौरान उसे रेमडेसिविर नाम का एंटीवायरल ड्रग दिया जा रहा था। महिला कई बीमारियों से पीड़ित थी, जिसकी वजह से उसका इम्यून सिस्टम कमजोर हो गया था।