शोधकर्ताओं का कहना है कि नंगे पांव जमीन पर चलने का लाभ बहुत अलग तरह से शरीर को मिलता है। यह ठीक वैसे ही काम करता है जैसे टेलीविजन केबल कंपनियां इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स को स्थिर रखने के लिए जमीन की ‘अर्थिंग’ का प्रयोग करती हैं। हमारे शरीर की प्रकृति ‘बायो-इलेक्ट्रिकल’ है। यानी हमारे शरीर की सभी कोशिकाएं व तंत्रिका तंत्र एक प्रकार से भीतरी विद्युत शक्ति या ऊर्जा के स्पंदन से संचालित होते हैं। धरती अपने आप में ऊर्जा का भंडार है। वैज्ञानिकों के मुताबिक धरती का ऊर्जा चक्र शरीर के विद्युत तंत्र पर भी अनुकूल-प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
सुबह-सुबह ठंडी पड़ी जमीन पर नंगे पांव चलने से पैरों को भरपूर ऑक्सीजन मिलती है। इससे रक्तसंचार बेहतर होकर थकान कम होती है। साथ ही सभी मांसपेशियां सक्रिय हो जाती हैं। पैर का निचला हिस्सा धरती के संपर्क में आने से धरती की ऊर्जा पूरे शरीर में संचारित होती है। इससे जोड़ों में दर्द, अनिद्रा व हृदय संबंधी समस्याओं पर अनुकूल असर पड़ता है व रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। शोध के अनुसार बगीचे या पेड़-पौधों की देखभाल में आधा घंटा बिताने से तनाव व अवसाद भी दूर होते हैं।
शोधकर्ताओं ने प्रकृति के जुड़ाव से प्राप्त होने वाली ऊर्जा को विटामिन नेचर या ‘एन’ नाम दिया है। लंदन की वेस्टर्न यूनिवर्सिटी में हैल्थ लेक्चरर गिलियन मेंडिच के अनुसार शहरों की तुलना में प्रकृति के संपर्क में पैदल चलने वालों में रक्तचाप और तनाव को नियंत्रित करने वाले हार्मोन ज्यादा संतुलित रहते हैं। एक अध्ययन के मुताबिक मिट्टी में पाए जाने वाले कई लाभदायी बैक्टीरिया तनाव व अवसाद कम करते हैं व प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।