विटामिन डी (Vitamin D)शरीर के कई महत्वपूर्ण अंगों को ठीक तरह से संचालित करने में मदद करता है। इसकी कमी से कई गंभीर बीमारियां जैसे डायबिटीज, कोलोन, ब्रेस्ट व प्रोस्टेट कैंसर भी हो सकता है। नई दिल्ली के ऑल इंडिया मेडिकल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) के सेंटर फोर कम्युनिटी मेडिसिन के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. संजय के राय के अनुसार ‘शरीर को रोजाना कम से कम 75 प्रतिशत विटामिन डी पूरा करने के लिए सूरज की सीधी रोशनी की जरूरत होती है। धूप कम लेने, अस्वस्थ खानपान की वजह से विटामिन डी की कमी हो जाती है।
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ऐसे होती है जांचकमी को मापने के लिए 25 हाइड्रॉक्सी विटामिन डी ब्लड टेस्ट किया जाता है। यह टेस्ट 40 की उम्र के बाद साल में एक बार कराना चाहिए, लेकिन अगर आपको ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा हो तो 21 साल के बाद ही कराते रहें।
जब सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणें त्वचा के संपर्क में आती हैं तो ये शरीर में एब्जोर्ब होकर विटामिन डी (Vitamin D) का निर्माण करती हैं। अगर सप्ताह में दो बार 10-15 मिनट तक शरीर की खुली त्वचा पर सूर्य की अल्ट्रा वायलेट किरणें पड़ती हैं तो शरीर की विटामिन डी (Vitamin D) की 80-90 प्रतिशत तक आवश्यकता पूरी हो जाती है। विटामिन डी के सप्लीमेंट भी लिए जा सकते हैं लेकिन इन्हें लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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सेहत के लिए जरूरी है विटामिन डी Vitamin D is essential for healthहमारी अच्छी सेहत के लिए विटामिन डी बहुत ज्यादा जरूरी है। इसकी कमी होने से आपको कैल्शियम का पूरा फायदा नहीं मिलता है। लेकिन इसकी एक संतुलित मात्रा ही हमें लेनी चाहिए। डॉक्टर्स का कहना है कि हर इंसान के ब्लड में 30 से 70 नैनोग्राम प्रति मिलीलीटर विटामिन डी होनी चाहिए।