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सावधान: तंबाकू से 100 से अधिक बीमारियों की आशंका, जानिए कैसे खोखला करता है शरीर

तंबाकू ऐसा उत्पाद है जिसको लेने के साथ ही जान का जोखिम बढऩे लगता है। इसका दुष्प्रभाव केवल कुछ खास अंगों पर ही नहीं बल्कि सिर के बाल से लेकर पैरों के नाखूनों तक पर पड़ता है। इससे 100 से अधिक रोगों की आशंका रहती है। वहीं 40 से अधिक प्रकार के कैंसर का खतरा भी बढ़ता है। ठीक वैसे ही इसे छोडऩे के साथ लाभ भी मिलने लगते हैं।

Sep 10, 2023 / 05:27 pm

Jyoti Kumar

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तंबाकू ऐसा उत्पाद है जिसको लेने के साथ ही जान का जोखिम बढऩे लगता है। इसका दुष्प्रभाव केवल कुछ खास अंगों पर ही नहीं बल्कि सिर के बाल से लेकर पैरों के नाखूनों तक पर पड़ता है। इससे 100 से अधिक रोगों की आशंका रहती है। वहीं 40 से अधिक प्रकार के कैंसर का खतरा भी बढ़ता है। ठीक वैसे ही इसे छोडऩे के साथ लाभ भी मिलने लगते हैं।

 

निकोटिन मुख्य कारण
तंबाकू का मुख्य तत्व निकोटिन है। निकोटिन, खून की नलियों में सिकुडऩ को बढ़ाता है। इससे रक्त में थक्का बनने की समस्या होने लगती है। निकोटिन की अधिकता से शरीर में इंसुलिन प्रतिरोधकता बढ़ती है। नशा करने वाले पुरुषों में स्पर्म की संख्या घटने का कारण निकोटिन ही होता है।

 

70% धुआं हवा में जाता
स्मोक के तीन प्रकार हैं। पहला फस्र्ट हैंड यानी जो व्यक्ति पीता है उसके अंदर 30त्न जाता है। उससे थोड़ा कम उसके आसपास वालों के अंदर जाता है जिसे सेकंड हैंड स्मोक कहते हैं बाकी वातावरण को प्रदूषित करता है इसे थर्ड हैंड स्मोक (एन्वायरमेंटल टोबैको स्मोक) कहते हैं। सेकंड हैंड स्मोक भी फस्र्ट हैंड जैसे घातक है।

 

10 साल तंबाकू इस्तेमाल से 40 तरह के कैंसर!
अगर कोई व्यक्ति 10 साल तक तंबाकू का कोई भी उत्पाद जैसे गुटखा, बीड़ी या सिगरेट आदि लेता है तो उसे 40 तरह के कैंसर की आशंका बढ़ जाती है। अगर कोई व्यक्ति तंबाकू छोड़ देता तो उसके दुष्प्रभाव 15 वर्षों तक रहते हंै। लेकिन छोडऩे के बाद लाभ भी तेजी से मिलते हैं।

 

सबसे गंभीर लत है

तंबाकू दुनिया का सबसे अधिक लत वाला नशा है। भारत में करीब 30 करोड़ लोग किसी न किसी रूप से तंबाकू का नशा करते हैं। इसमें 15 वर्ष से कम उम्र वाले भी हैं। छोडऩे का प्रयास करें।

 

इलाज जरूरी

मात्र 5त्न ही इच्छा शक्ति से छोड़ पाते हैं। 10त्न परिजनों की मदद से, 35त्न टोबैको छोडऩे वाले क्लीनिक में काउंसलिंग और दवाइयों से, शेष को निकोटिन चुइंगम आदि देना पड़ता है।

 

अम्ल बनने से कब्ज
शरीर में नशा करने से अम्ल की मात्रा बढऩे लगती है। नशे से कब्ज और पाचन की सबसे ज्यादा दिक्कत होती है। इस कारण कई अन्य दिक्कतें होती हैं।

 

तंबाकू छोडऩे के बाद
ऐसे करें शरीर डिटॉक्स
तंबाकू छोडऩे के बाद भी शरीर में निकोटिन की मात्रा अधिक दिनों तक रहती है। ऐसे दुष्प्रभाव घटाएं।
मौसमी-संतरे का जूस पीएं: इनमें विटामिन सी होता है। नियमित पीते हैं तो शरीर तेजी से निकोटिन को बाहर निकालने में भी मदद करेगा। गाजर का भी जूस पी सकते हैं।
12-15 गिलास पानी रोज पीएं: शरीर को शुद्ध करने के लिए पानी सबसे अच्छा स्रोत है। 12-15 गिलास पीना पीएं। मौसमी फल-सब्जियां खाएं।

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