अब तक, इस स्थिति को पहचानने के लिए कोई खास जांच नहीं थी। लेकिन ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक नए अध्ययन में पाया है कि कोरोना के बाद दिमाग धीमा हो जाना इसकी एक अहम निशानी हो सकती है।
शोध में क्या किया गया?
इस शोध में कोरोना के बाद लंबे समय तक परेशानी झेलने वाले करीब 270 मरीजों को शामिल किया गया। इनकी तुलना दो अन्य समूहों से की गई – एक वो लोग जिन्हें कोरोना हुआ था लेकिन ठीक होने के बाद उन्हें कोई दिक्कत नहीं हुई, और दूसरे वो लोग जिन्हें कोरोना बिल्कुल नहीं हुआ।
शोधकर्ताओं ने इन सभी लोगों को दिमाग की तेजता जांचने के लिए दो ऑनलाइन टेस्ट दिए। इन टेस्ट में जल्दी से जवाब देने और लंबे समय तक ध्यान लगाए रखने की क्षमता को मापा गया।
क्या पाया गया?
नतीजों में पाया गया कि कोरोना के बाद लंबे समय तक परेशानी झेलने वाले मरीजों में दिमाग धीमा होने की समस्या साफ देखी गई। इन लोगों को टेस्ट हल करने में स्वस्थ लोगों से काफी ज्यादा वक्त लगा।
लगभग 54 फीसदी मरीजों में दिमाग धीमा होने की समस्या पाई गई। ये समस्या थकान, डिप्रेशन, घबराहट, नींद न आने जैसी परेशानियों की वजह से नहीं हो रही थी।
शोधकर्ताओं का कहना है कि कोरोना के बाद लंबे समय तक दिमाग धीमा हो जाना इस बीमारी का एक अहम लक्षण हो सकता है। इससे मरीजों को सोचने-समझने और सीखने में परेशानी हो सकती है।
अब जरूरी है कि इस समस्या को पहचानने के लिए और बेहतर तरीके विकसित किए जाएं और मरीजों को इससे उबरने में मदद की जाए।