यह अध्ययन JAMA Network Open नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ताओं का कहना है कि “अकेले रहने वाले लोगों में पालतू जानवर रखने से जुबान की याददाश्त और शब्दों के प्रवाह में कमी की दर धीमी पाई गई, लेकिन दूसरों के साथ रहने वालों में ऐसा नहीं था।”
उनके अनुसार, पालतू जानवर रखने से अकेले रहने और जुबान की याददाश्त और शब्दों के प्रवाह में कमी के बीच के संबंध को कम किया जा सकता है। इस अध्ययन में 50 साल और उससे अधिक उम्र के 7,945 लोगों ने भाग लिया। शोधकर्ताओं ने पाया कि 2021 में सभी अमेरिकियों में से 28.5% एकल-व्यक्ति घरों में रहते थे, जो दर्शाता है कि अधिक से अधिक लोग बूढ़े होने के साथ अकेले रह रहे हैं।
उन्होंने यह भी अनुमान लगाया कि दुनिया भर में मनोभ्रंश से पीड़ित लोगों की संख्या 2019 में 57 मिलियन से बढ़कर 2050 में 153 मिलियन हो जाएगी। शोधकर्ताओं ने बताया कि वर्तमान में मनोभ्रंश के इलाज या दिमाग के कमजोर होने को रोकने के लिए कोई कारगर उपचार उपलब्ध नहीं है।
उन्होंने कहा, “अकेले रहने वाले बुजुर्गों में मनोभ्रंश होने का खतरा अधिक होता है, और अकेले रहना एक ऐसी स्थिति है जिसे आसानी से बदला नहीं जा सकता। यह ध्यान देने योग्य है कि दूसरों के साथ रहने वाले पालतू पशुओं के मालिकों की तुलना में, अकेले रहने वाले पालतू पशुओं के मालिकों में जुबान की याददाश्त या शब्दों के प्रवाह में गिरावट की दर तेज नहीं दिखी।”
शोधकर्ताओं के अनुसार, अकेले रहने और मनोभ्रंश के बीच के संबंध में अकेलापन एक संभावित मध्यस्थ है। अकेले रहने के विपरीत, पालतू जानवर रखने (जैसे कुत्ते और बिल्लियाँ) से अकेलेपन में कमी आती है – जो मनोभ्रंश और दिमाग के कमजोर होने का एक महत्वपूर्ण जोखिम कारक है।
हालांकि, पालतू जानवर रखने और दिमाग के कमजोर होने की दर के बीच के संबंध का पूरी तरह से पता नहीं लगाया गया है और मौजूदा निष्कर्ष विवादास्पद हैं, शोधकर्ताओं ने नोट किया।