केजीएमयू के प्रोफेसर अपुल गोयल ने कहा: “हमारे ओपीडी में आने वाले लगभग 70 प्रतिशत मरीज ऐसे हैं जिनमें 2 सेमी से अधिक बड़ी पथरी होती है। यह अक्सर पान मसाला के उपयोग, कम पानी पीने या दूषित पानी पीने से होती है।”
सम्मेलन में विशेषज्ञों ने कहा कि एक नयी प्रक्रिया मिनिमली इनवेसिव प्रोसीजर है जिससे ऐसे रोगियों में उम्मीद की किरण जगी है। एसएन मेडिकल कॉलेज आगरा के पूर्व संकाय और एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर एमएस अग्रवाल ने परक्यूटेनियस नेफ्रोलिथोटॉमी तकनीक की प्रभावकारिता पर जोर दिया, जिससे सर्जरी आसान हो जाती है। मरीजों को आमतौर पर एक दिन के भीतर छुट्टी मिल जाती है।
इस बीच, लखनऊ के डॉ सलिल टंडन और प्रयागराज के डॉ विपुल टंडन ने यूरेटेरोस्कोपी के माध्यम से 2 सेमी से छोटी पथरी को हटाने में हुई प्रगति को रेखांकित किया, जिससे सर्जरी की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।
बीएचयू इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के निदेशक प्रोफेसर एसएन शंखवार ने कांफ्रेंस में काइलुरिया के गंभीर लक्षणों पर प्रकाश डाला। यह एक दुर्लभ स्थिति है जिसमें लिम्फेटिक लिक्विड किडनी में लीक हो जाता है और पेशाब को दूध जैसा सफ़ेद बना देता है।
यह अक्सर फाइलेरिया का कारण होता है। उन्होंने कहा, “लोगों को यह बताने की जरूरत है कि सर्जरी से इसका इलाज संभव है।”
(आईएएनएस)