आइसक्रीम स्टिक से बनाया मुंह खोलने का उपकरण
कैंसर का पता चलने के बाद कई मरीज तनावग्रस्त हो जाते हैं तो कुछ इससे छुटकारा पाने की जद्दोजहद में पूरी तरह से जुट जाते हैं। ऐसा ही उदाहरण है 45 वर्षीय मरीज कैलाश शर्मा का। वह मुंह के कैंसर से ग्रस्त था। सर्जरी के बाद उसका मुंह नहीं खुल रहा था। इससे राहत के लिए कसरत व कुछ उपकरण सुझाए गए, जो काफी महंगे थे। मरीज कैलाश की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह इन्हें खरीद सके। लेकिन उसने हार नहीं मानी और अपनी इस समस्या का समाधान महज 50 रुपए में निकाल लिया। उसने आइसक्रीम स्टिक से मुंह खोलने के लिए इप्लांट (अस्थायी) बना दिया। जब उसने दिखाया तो हम हैरत में पड़ गए। अब उसके इस इनोवेशन को हम दूसरे मरीजों को बता रहे हैं। कैलाश जैसे मरीजों के हौसले देखकर मुझे हार न मानने का बड़ा सबक मिलता है।पत्नी का चेहरा देखकर कहा, मरीज ठीक हो जाएगा
ज्यादातर कार्डिएक मरीज अस्पताल में चलते-फिरते हुए आते हैं। हालांकि कई गंभीर हालत में भी पहुंचते हैं। उनमें देखा गया है कि जो मरीज पॉजिटिव रहते हैं, वे जल्दी ठीक होते हैं। इसका असर डॉक्टर की मनोस्थिति पर भी पड़ता है। एक मरीज की हालत खराब थी। उसका ऑपरेशन पूरा होने के बाद जैसे ही बाहर आया तो उसकी पत्नी हाथ जोड़कर खड़ी थी। बोली, डॉक्टर साहब, पति कब तक ठीक हो जाएंगे। मैंने कहा, हां जल्द हो जाएंगे। जबकि उसके पति की हालत गंभीर थी। उस महिला के चेहरे के भाव बदल गए। वह मुस्कुरा उठी। मैं सोचने को मजबूर हो गया। कैसे होगा, लेकिन वह हमेशा पॉजिटिव रही। कुछ दिन उसका पति ठीक हो गया तो मुझे लगा कि हम जैसा भाव मन में रखते हैं, कई बार वैसे ही हो जाता है। इसलिए खुद को सकारात्मक ही रखें।जिंदा रहने के लिए हर उम्र में किया मौत से संघर्ष
32 वर्षीय मरीज राहुल (परिवर्तित नाम) मरीज बचपन से ही किडनी की बीमारी से जूझ रहा है। उसने बचपन से लेकर जवानी तक हर स्टेज और उम्र में जिंदा रहने की जिद लिए मौत से संघर्ष किया है लेकिन हमें कभी उसके चेहरे पर मायूसी नहीं दिखी। हमेशा मुस्कुराता रहता था। उसे बचपन में ही डायबिटीज हो गई थी और तीन साल की उम्र में ही उसकी किडनी खराब हो गई थी और उसे डायलिसिस पर लेना पड़ा। इसके बाद उसका ट्रांसप्लांट हुआ। वह कई बार गंभीर अवस्था में पहुंचा लेकिन उसने खुद को हारने नहीं दिया। वह परिवार को भी संबल देता था। ऐसे में मामलों में कई बार हम हार मान जाते हैं लेकिन वह अपनी जिजीविषा से जीवित है और बच्चों के साथ दवा लेने आता है।