यह कई बीमारियों के समूह से जुड़ी एक ऑटोइम्यून डिजीज है। यह शरीर में सूजन बढ़ाकर अंदर-अंदर ही तोड़ देती है। ये सूजन कंधे, हाथ, पैर, त्वचा पर चकते, जांघ, कमर और कूल्हों की मांसपेशियों में आती है। खाने की नली, दिल, फेफड़ों को भी प्रभावित कर सकती है।
इसमें मांसपेशियों में सूजन, दर्द और कमजोरी से दिनचर्या प्रभावित होती है। इसके कई प्रकार जैसे पॉलीमायोसाइटिस डर्मेटोमायोसाइटिस, इंक्लूजन-बॉडी मायोसाइटिस, जुवेनाइल मायोसाइटिस, टॉक्सिक मायोसाइटिस आदि होते हैं। जांच के लिए कई एंटीजन टेस्ट किए जाते हैं।
इसमें बुखार, अचानक वजन घटना, थकान, कमजोरी, मांसपेशियों में दर्द, रेशेज, खाने और सांस लेने में परेशानी आदि लक्षण आते हैं। यह ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है, तो इसमें इम्यून सिस्टम गलत तरीके से काम करने लगता है। शरीर में इंफेक्शन हुए बिना भी वह उनसे लडऩे में लगता है, जिससे ये लक्षण आते हैं।
इसमें लक्षण खत्म करने के लिए थैरेपी व दवाइयां दी जाती हैं। इसमें इम्यूनोसप्प्रेसिव दवाएं व स्टेरॉइड भी उपयोग में ली जाती हैं। कुछ एक्सरसाइज, स्ट्रेचिंग, योग जैसी फिजिकल थैरेपी, हैल्दी डाइट भी जरूरी है।