यह तकनीक “एमआरआई न्यूरो-नैविगेटेड ट्रान्सक्रानियल मैग्नेटिक सिमुलेशन (टीएमएस)” कहलाती है. इसमें मरीज को बाहर से इलाज दिया जाता है, जिसमें उनके सिर के बायें हिस्से पर चुंबकीय तरंगें दी जाती हैं. ये तरंगें दिमाग के एक खास हिस्से को सक्रिय करती हैं, जो डिप्रेशन से जुड़ा होता है.
यह इलाज पहले भी किया जाता था, लेकिन नई तकनीक में खास बात ये है कि MRI की मदद से लक्ष्य को और भी सटीक बनाया जाता है. इससे दिमाग के एक ही हिस्से को बार-बार उत्तेजित किया जा सकता है, जिसका असर ज्यादा लंबे समय तक रहता है.
इस परीक्षण में 255 मरीजों को शामिल किया गया था, जिन्हें पहले दो बार अन्य इलाज दिए जा चुके थे, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ था. नई तकनीक से इनमें से दो तिहाई लोगों में सुधार दिखा, जिनमें से एक तिहाई में लक्षणों में 50% तक कमी आई और एक पांचवां हिस्सा पूरी तरह ठीक हो गया.
प्रोफेसर रिचर्ड मॉरिस, जिन्होंने इस शोध का नेतृत्व किया, कहते हैं “जिन मरीजों ने इस इलाज का अच्छा रिस्पॉन्स दिया, वे साल में सिर्फ एक या दो बार इसी तरह का इलाज करवाकर अपनी हालत पहले की तरह रख पा सकते हैं. इससे न सिर्फ उनका डिप्रेशन कम हुआ, बल्कि उनकी याददाश्त, ध्यान केंद्रित करने की क्षमता, चिंता और जीवन की गुणवत्ता भी बेहतर हुई.”
यह तकनीक गंभीर डिप्रेशन से जूझ रहे लोगों के लिए एक बड़ी उम्मीद है, क्योंकि दुनिया भर में यह विकलांगता का प्रमुख कारण है और 15 से 49 साल के बीच आत्महत्या का सबसे बड़ा कारण भी है.
हालांकि यह तकनीक अभी तक पूरी तरह से विकसित नहीं हुई है और और ज्यादा शोध की जरूरत है, लेकिन ये नतीजे भविष्य में डिप्रेशन के इलाज के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं.
(आईएएनएस)