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नमक ही नहीं, इन चीजों से भी शरीर में जा रहा प्लास्टिक, जानिए माइक्रोप्लास्टिक्स के गंभीर खतरे

Micro Plastics Side Effects-चाय पीने के लिए क्या आप टी-बैग्स का इस्तेमाल करते हैं? तो ऐसा करना तुरंत बंद कर दें, क्योंकि आपकी ये भूल आपके खून में जहरीले तत्व को बढ़ा रही है।

Apr 12, 2022 / 10:49 am

Ritu Singh

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जी हां, केवल टी बैग्स ही नहीं, कोल्ड ड्रिंक और नमक तक से खून में माइक्रो प्लास्टिक कण पहुंचने लगा है। खास बात ये है कि रोज के खानपान में कई ऐसी चूक हो रही है, जिससे खून में माइक्रो प्लास्टिक शामिल होने लगा है। आपको जानकार आश्चर्य होगा कि आपके प्लास्टिक में भरे कोल्ड ड्रिंक पीने से लेकर टी बैग्स वाली चाय और नमक तक में माइक्रोप्लास्टिक शुमार है और ये शरीर को कई जानलेवा बीमारी का शिकार बना सकते हैं। तो चलिए जानें ये माइक्रोप्लास्टिक क्या है और किन चीजों के जरिये शरीर में जा रहा है। साथ ही इससके क्या नुकसान हो सकते हैं।
जनरल एनवायरनमेंट इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च में 80 प्रतिशत व्यक्तियों के रक्त में माइक्रोप्लास्टिक पाया है। इस रिसर्च में 22 लोगों के खून की जांच हुई थी जिसमें पीईटी प्लास्टिक पाया गया। ये उसी प्लास्टिक का अंश था, जो आमतौर पर प्लास्टिक की बॉटल में पाया जाता है। इसमें एक तिहाई मात्रा में पॉलीस्टाइनिन होता है। प्लास्टिक बैग, बॉटल्स या पैकिंग के लिए ऐसे ही प्लास्टिक का यूज होता है। खून में पाए गए माइक्रोप्लास्टिक 0.0007mm के थे जो आसानी से शरीर में खून के साथ बॉडी के हर पार्ट में जा रहे थे।
खाने से खून तक माइक्रोप्लास्टिक कैसे पहुंचता है (How do microplastics reach the blood through food?)

प्लास्टिक बोतल से-पानी पीने से लेकर कोल्ड ड्रिंक तक और जूस आदि के लिए प्लास्टिक की बॉटल्स का प्रयोग होता है। इसमें मौजूद जूस या पानी जब लंबे समय तक अलग-अलग तापमान के झेलने के कारण इन जसू या पानी में माइक्रोप्लास्टिक की मात्रा बढ़ जाती है।
नमक के जरिए-नमक खाने से भी खून में माइक्रोप्लास्टिक पहुंच रहा है। वो ऐसे की नमक बनाने के लिए समुद्री पानी का यूज होता है और समुद्र में प्लास्टिक गंदगी बढ़ चुकी है। इससे वहां भी कई तरह के माइक्रोप्लास्टिक पाए जाते है और ये नमक में भी शामिल हो जाते है।
पैकेट बंद सामान-पानी से लेकर खाने की सामान तक सभी प्लास्टिक पैक आते हैं। अलग-अलग तापमान और स्टोरेज के कारण इन सामानों में माइक्रोप्लास्टिक भी समा जाते हैं। इतना ही, नहीं घरों में माइक्रोवेव में खाना गर्म करने के लिए प्लास्टिक के बर्तन का इस्तेमाल भी एक कारक है।
सीफूड के जरिये-सीफूड के जरिये भी खून में माइक्रोप्लास्टिक्स पहुंचता है। समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण बढ़ने के कारण उसमें रहने वाले जलीय जीवों पर भी इसका असर पड़ता है। इसमें पाए जाने वाले माइक्रोप्लास्टिक और नैनोप्लास्टिक आपके पेट में जाकर नुकसान कर सकते है।
टी बैग का इस्तेमाल– जी हां, टी बैग्स भी खून में माइक्रोप्लास्टिक्स पहुंचा रहे हैं। टी बैग्स को भी पॉलीप्रोपाइलीन से बनाया जाता है, जिसे गर्म पानी में डालने पर यह क्रिया कर आपकी चाय में माइक्रोप्लास्टिक मिलाने का काम करता है। इसलिए टीबैग की जगह चायपत्ती का इस्तेमाल करें। साथ ही प्लास्टिक कप के उपयोग से भी बचें।
माइक्रोप्लास्टिक्स के सेहत पर नुकसान (Microplastics Harmful effects on body)
माइक्रोप्लास्टिक्स के लंबे समय तक खून में रहने से ये कई तरह के पेट में इंफेक्शन और पाचन संबंधित बीमारियों का कारण बनता है। इसके अलावा यह इनफर्टिलिटी और रक्त परिसंचरण तंत्र प्रभावित हो सकता है। बच्चों में माइक्रोप्लास्टिक के सेवन से मस्तिष्क विकास और अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती है। इससे आपके फेफड़े, किडनी और लीवर में कई बीमारियां हो सकती है। यही नहीं, कैंसर और हार्ट डिजीज भी हो सकती है।

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