पहले यह धारणा थी कि हार्ट अटैक (heart attack) केवल वृद्ध लोगों को होता है, लेकिन अब यह युवा वर्ग को भी गंभीरता से प्रभावित कर रहा है। पिछले कुछ वर्षों में युवाओं में
हार्ट अटैक के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। कई युवा खेलकूद या अन्य शारीरिक गतिविधियों के दौरान दिल का दौरा पड़ने से अपनी जान गंवा रहे हैं।
क्यों पड़ता है दिल का दौरा : why does a heart attack happen
यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब कोरोनरी धमनियों में वसा और कोलेस्ट्रॉल का संचय होता है, जिसे प्लाक कहा जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, हृदय की मांसपेशियों में रक्त प्रवाह का अत्यधिक कम होना या अवरुद्ध होना हार्ट अटैक (heart attack) के जोखिम को बढ़ा देता है। प्लाक का निर्माण धमनियों को संकीर्ण कर सकता है, जिससे रक्त प्रवाह में कमी आती है। यदि रक्त प्रवाह पूरी तरह से रुक जाता है, तो इससे दिल का दौरा पड़ सकता है। इन कारणों से पड़ता है युवाओं में दिल का दौरा : These are the reasons why young people get heart attacks
- खराब जीवनशैली, व्यायाम की कमी और लंबे समय तक बैठे रहने से हृदय रोग का खतरा बढ़ सकता है।
- तले हुए खाद्य पदार्थ, जंक फूड और अधिक वसा वाले आहार का सेवन करने से दिल के दौरे का जोखिम बढ़ता है।
- धूम्रपान रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है, जिससे हृदयाघात का खतरा बढ़ जाता है।
- शराब का सेवन रक्तचाप और हृदय की धड़कन को बढ़ा सकता है, जिससे हृदय पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।
- अत्यधिक तनाव भी रक्तचाप और हृदय की धड़कन को बढ़ा सकता है, जिससे हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ता है।
- इसके अलावा, नींद की कमी भी हृदयाघात की संभावना को काफी बढ़ा सकती है।
हार्ट अटैक को खतरे को करें कम : reduce the risk of heart attack
रोजाना कम से कम 30 मिनट की शारीरिक गतिविधि करना स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है। अपने आहार में फलों, हरी सब्जियों और साबुत अनाज को अवश्य शामिल करें। धूम्रपान, शराब और सिगरेट के सेवन से बचें। योग, ध्यान या किसी अन्य शारीरिक गतिविधि के माध्यम से तनाव को कम किया जा सकता है। प्रतिदिन 7-8 घंटे की पर्याप्त नींद लेना भी महत्वपूर्ण है। नियमित रूप से उच्च रक्तचाप, मधुमेह और उच्च कोलेस्ट्रॉल जैसी स्वास्थ्य समस्याओं की जांच कराते रहें और उन्हें नियंत्रण में रखें।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।