वायरस से लड़ते समय असामान्य तरीके से बनने वाली प्रतिरक्षा दिल को नुकसान पहुंचा सकती है। इससे रक्तवाहिनियां मोटी हो जाती हैं जिससे उनमें रक्त प्रवाह के लिए जगह कम हो जाती है और वो बाधित हो जाता है, इसे वस्क्यूलर इंफ्लेमेशन कहा जाता है। इसलिए जो लोग पहले ही दिल संबंधी बीमारियों से ग्रस्त थे उनमें ये समस्या और गंभीर हो गई।
इंडियन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, बीते सालों में 50 वर्ष से कम उम्र के 50 फीसदी और 40 साल से कम उम्र के 25 फीसदी लोगों में हार्ट अटैक का जोखिम देखा गया है। हालांकि हालांकि इनमें से किसी भी मामले के कोविड से जुड़े होने के प्रमाण नहीं मिले हैं लेकिन कुछ लोग हार्ट अटैक को कोरोना महामारी के प्रभाव के रूप में देख रहे हैं।