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Genetic Testing Before Marriage : शादी से पहले करवाना होगा जेनेटिक परीक्षण, क्या है यह और क्यों है जरूरी?

Genetic Testing Before Marriage : अबू धाबी के स्वास्थ्य विभाग ने अनुवांशिक बीमारियों की संख्या को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए शादी से पहले अनिवार्य जेनेटिक परीक्षण की घोषणा की है। यह परीक्षण 1 अक्टूबर से अमीराती जोड़ों के लिए लागू होगा।

जयपुरSep 20, 2024 / 12:23 pm

Manoj Kumar

Genetic Testing Before Marriage

Genetic Testing Before Marriage

Genetic Testing Before Marriage : अबू धाबी की स्वास्थ्य विभाग ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए शादी से पहले अनिवार्य जेनेटिक परीक्षण (Genetic testing) की शुरुआत की है। 1 अक्टूबर से अबू धाबी में शादी करने वाले अमीराती जोड़ों के लिए यह स्क्रीनिंग प्रक्रिया अनिवार्य होगी। इस पहल का उद्देश्य अनुवांशिक बीमारियों को रोकना और स्वस्थ समाज का निर्माण करना है।
Genetic Testing Before Marriage : इस प्रक्रिया के तहत, जोड़ों की अनुवांशिक स्थिति की जांच की जाएगी ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या उनमें से किसी के पास ऐसे जीन हैं जो उनके बच्चों में अनुवांशिक बीमारियों का कारण बन सकते हैं, जैसे सिकल सेल एनीमिया या थैलेसीमिया। इस पहल का उद्देश्य परिवार नियोजन के बारे में सूचित निर्णय लेना और अनुवांशिक रोगों के जोखिम को कम करना है।

जेनेटिक परीक्षण क्या है? What is genetic testing?

जेनेटिक परीक्षण (Genetic testing एक चिकित्सीय स्क्रीनिंग प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य यह जानना होता है कि क्या होने वाले माता-पिता में से किसी के जीन में कोई ऐसा दोष है जो उनके बच्चों में अनुवांशिक बीमारी के रूप में सामने आ सकता है। यह परीक्षण मुख्य रूप से सिकल सेल एनीमिया और थैलेसीमिया जैसी अनुवांशिक बीमारियों की पहचान के लिए किया जाता है।

जेनेटिक परीक्षण क्यों है जरूरी? Why is genetic testing important?

  1. अनुवांशिक बीमारियों की पहचान: जेनेटिक परीक्षण (Genetic testing के माध्यम से यह पता लगाया जा सकता है कि क्या जोड़ा किसी अनुवांशिक बीमारी का वाहक है। अगर दोनों पार्टनर एक ही बीमारी के वाहक हैं, तो उनके बच्चों में इस बीमारी के होने की संभावना अधिक हो जाती है।
  2. रिस्क मूल्यांकन: यदि किसी जोड़े के परिवार में पहले से ही किसी अनुवांशिक बीमारी का इतिहास है, तो यह परीक्षण उन्हें संभावित जोखिमों के बारे में जानकारी देता है और उन्हें बेहतर निर्णय लेने में मदद करता है।
  3. समुदाय की सुरक्षा: यह पहल केवल व्यक्तिगत स्तर पर नहीं, बल्कि समाज के लिए भी फायदेमंद है। इससे अनुवांशिक बीमारियों के मामलों में कमी आएगी और आने वाली पीढ़ियों को स्वस्थ जीवन जीने का अवसर मिलेगा।

भारत के लिए क्या सीख?

फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट के कंसल्टेंट हेमेटोलॉजिस्ट और ओंकोलॉजिस्ट, डॉ. श्रिनिधि नथानी ने इस पहल की सराहना की है और इसे भारत के लिए एक आदर्श मानक बताया है। भारत में अनिवार्य जेनेटिक परीक्षण (Genetic testing अभी लागू नहीं है, लेकिन भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने इस संबंध में दिशानिर्देश जारी किए हैं।
डॉ. नथानी ने कहा, “भारत में 1.4 अरब की आबादी है, और इसमें एक बड़ा हिस्सा शिशु और बाल मृत्यु दर का अनुवांशिक दोषों के कारण होता है, जो अक्सर अज्ञात रह जाते हैं।”

अबू धाबी की पहल कैसे करेगी मदद?

अबू धाबी में यह परीक्षण 22 केंद्रों पर उपलब्ध होगा, जिसमें 570 जीन और 840 अनुवांशिक दोषों की पहचान की जा सकेगी। इस परीक्षण के माध्यम से जोड़ों को उनकी अनुवांशिक स्थिति के बारे में सही जानकारी मिल सकेगी, जिससे वे अपने परिवार के भविष्य के बारे में जागरूक और उचित निर्णय ले सकेंगे।

भविष्य की योजना

अनिवार्य जेनेटिक (Genetic testing) परीक्षण के साथ ही, यह पहल अनुवांशिक परामर्श का भी एक हिस्सा है। परामर्श के दौरान जोड़ों को अनुवांशिक बीमारियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाती है और उन्हें विकल्पों के बारे में बताया जाता है। इससे वे न केवल अपने परिवार की योजना बेहतर तरीके से बना सकते हैं, बल्कि समाज में अनुवांशिक बीमारियों के बोझ को भी कम किया जा सकता है।
इस प्रकार, अबू धाबी की यह पहल एक महत्वपूर्ण कदम है, जो समाज के स्वास्थ्य और भविष्य को सुरक्षित रखने में मदद करेगी।

स्रोत – इंडिया टुडे

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