धुंधली दृष्टि, सूखी आंख या ड्राय आईज के कारण होती है। दिन में सूखापन होने से कई बार दृष्टि धुंधली होने लगती है। आंसू की एक परत फ्रंट आईज को एक कोट कर सुरक्षित रखती है इसे टियर फिल्म के नाम से जाना जाता है, ये रौशनी को आंख में भेजने से पहले इसी से टकराती है। लेकिन जब आईज ड्राय होने लगती है तो ये सही तरीके से काम नहीं करती इससे विजन धुंधला होता है।
आई बॉल के व्हाइट आउटर लेयर पर सूजी हुई ब्लड वेसल्स के चलते आंखें का रंग लाल हो जाता है या उन्हें पूरी तरह से ब्लडशॉट यानी रक्तहीन बना देता है। अगर आंख में कोई एलर्जी या इंफेक्शन नहीं है, तो ये ड्राय आईज का ही कारण है। ऐसा इसीलिए होता है क्योंकि प्रॉपर लु्ब्रिकेंट के बिना आंख सूखने लगती है। पलक झपकने की क्रिया से पलकें, कॉर्निया और आंख के सफेद हिस्से के अगेंस्ट रगड़ खाती हैं। यदि यह रगड़ अक्सर होती है तो यह कॉर्निया को क्षतिग्रस्त कर सकता है।
जी हां, जब आईज अंदर से ड्राय होती हैं तो आंखों से पानी गिरने लगता है। ड्राय आईज के साथ टियर प्रोडक्शन में में वृद्धि होना, बेसिकली आपकी आंखों की तरफ से एक ऐसा इंडिकेशन है कि आंखों से रिलेटेड कोई चीज है या कोई दिकत ऐसी है, जो उन्हें खराब कर रही है, जैसे आंखों में लुब्रिकेंट की कमी, जब आंखों के कॉर्निया को लगता है कि ड्राय आईज के कारण पर्याप्त आंसू नहीं आ रहे हैं या बन रहे हैं, तो यह आंखों में मौजूद टियर ग्लैंडस को टियर प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए एक मेसेज भेजता है।
ड्राय आईज हमेशा थकी, भारी रहती हैं। सुबह उठने के बाद भी ऐसा महूसस होना ड्राय आईज का कारण है। अपर्याप्त आंसू फिल्म आंखों को थका सकती है, या थका हुआ फील दे सकती हैं और आपकी पलकें आंख की सतह यानी आई सरफेस की रक्षा यानी प्रोटेक्शन के लिए थोड़ा सा झुकने की कोशिश करती हैं। ताकि आईज को किसी तरह का नुकसान न पहुंचे।
आंख की टियर फिल्म में व्यवधान यानी डिसरप्शन जिस तरह धुंधलापन पैदा करता या कर सकता है, वैसे ही लाइट के प्रति सेंसिटिविटी भी पैदा कर सकता है ऐसा इसलिए है क्योंकि आपकी टियर फिल्म पहली चीज है, जिस पर लाइट आंखों में एंटर करने से पहले हिट करती हैं। आंसू फिल्म को एक चिकनी, समान परत माना जाता है, लेकिन ड्राय आईज कभी-कभी इसे असमान और चॉपी Choppy बना सकती हैं। यही कारण है कि लाइट संवेदनशीलता यानी सेंसिटिविटी का कारण बनती है। इस स्थिति को फोटो फोबिया या एक्सट्रीम सेंसिटिविटी टु लाइट कहा जाता है।
जब आंसू आपकी आंख को चिकनाई यानी लुब्रिकेंट देने में विफल हो जाते हैं यानी फेल हो जाते हैं, तो यह स्थिति आपकी आंखों को रेतीला, खरोंच जैसा या किरकिरा सा महसूस करा सकती हैए जैसे कि आंखों में कोई चीज गिर गई हो।
ब्लिंकिंग डिफिकल्टी भी, आंखों के लुब्रिकेंट से जुड़ी है। पलकों को झपकने के लिए प्रॉपर लुब्रिकेंट की जरूरत पड़ती है। बिना चिकनाहट या लुब्रिकेंट के उनको बार-बार झपकना तकलीफदेह होता है। विशेष रूप से आंखों की ऊपरी और निचली पलकें उतनी आसानी से नहीं चलतीं जितनी वे प्रॉपर लुब्रिकेंट के साथ चलती हैं।
लंबे समय तक फोन, कंप्यूटर स्क्री, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस या यहां तक कि किताबों को घूरते रहना भी ड्राय आइज का कारण बनात है। क्योंकि ऐसी स्थितियों में पलकें एक तिहाई से भी कम कम झपकाई जाती हैं।