वैंपायर रोग क्या है? What is vampire disease?
अक्यूट इंटरमिटेंट पोर्फायरिया (AIP), जिसे सामान्यतः वैंपायर रोग (Vampire Disease) के नाम से जाना जाता है, एक दुर्लभ आनुवंशिक चयापचय विकार है। यह विकार तब गंभीर दर्द और अन्य विकारों का कारण बनता है जब इसे उत्तेजित किया जाता है।
लक्षणों का सामना
फीनिक्स नाइटिंगेल, जो मिनेसोटा, अमेरिका की 32 वर्षीय महिला हैं, इस स्थिति से जूझ रही हैं। यह स्थिति वैंपायरों की मिथकों के साथ समानताओं के कारण ‘वैंपायर रोग’ के रूप में जानी जाती है। यह भी पढ़ें : अंडे से भी ज्यादा प्रोटीन लिए बैठें हैं ये 9 देसी स्नैक्स, इस तरह से करें डाइट में शामिल AIP के कारण शरीर में पोरफायरिन्स का संचय होता है, जो उस प्रोटीन के निर्माण के लिए आवश्यक होते हैं जो लाल रक्त कोशिकाओं में ऑक्सीजन ले जाने का कार्य करते हैं। यह विकार तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है और गंभीर पेट दर्द, उल्टी, माइग्रेन, और कब्ज जैसी समस्याएँ पैदा करता है।
अटैक और उनके प्रभाव
नाइटिंगेल को ऐसे अटैक का सामना करना पड़ता है जो दो दिन तक रह सकते हैं, जिसमें तीव्र उल्टी, बेहोशी, और असहनीय दर्द शामिल होते हैं। उनका अनुभव इस बात को दर्शाता है कि कैसे यह विकार उनकी दैनिक जिंदगी को प्रभावित करता है।
भोजन के विकल्प
वैंपायर रोग (Vampire Disease) के कारण नाइटिंगेल के लिए बाहर खाना बहुत चुनौतीपूर्ण हो जाता है। उन्हें लहसुन, लाल अंगूर, सोया, शराब, और कॉफी जैसे कई खाद्य पदार्थों से बचना होता है। लहसुन का सेवन, यहां तक कि थोड़ी मात्रा में, भयानक उल्टी और दर्द का कारण बन सकता है, इसलिए उनके लिए एक अत्यधिक प्रतिबंधित आहार बनाए रखना आवश्यक है।
उपचार और प्रबंधन
अक्यूट इंटरमिटेंट पोर्फायरिया का कोई इलाज नहीं है, लेकिन उपचार आमतौर पर लक्षणों के प्रबंधन और ज्ञात उत्तेजनाओं से बचने पर केंद्रित होता है। नाइटिंगेल ने अपने जीवन में 480 से अधिक अटैक का सामना किया है, और वर्षों तक पीड़ित रहने के बाद, उन्हें 2023 में आखिरकार निदान किया गया। यह भी पढ़ें : Karisma Kapoor weight loss : करिश्मा कपूर ने 25 किलो वजन कैसे घटाया, जानिए उनके आसान डाइट टिप्स यह कहानी हमें बताती है कि किस प्रकार दुर्लभ स्वास्थ्य स्थितियां जीवन को प्रभावित कर सकती हैं और हमें इस बारे में जागरूक रहने की आवश्यकता है। वैंपायर रोग जैसी स्थितियों से जूझ रहे लोगों के प्रति सहानुभूति और समझ की आवश्यकता है, ताकि उनकी चुनौतियों का सामना करने में मदद की जा सके।