दर्द कम करता है लोगों के गले मिलना, आप भी दें किसी अपने को ‘जादू की झप्पी’
कोरोना वायरस के इस दौर में अपनों से मिलने को लोग तरस गए हैं। ऐसे में एक अदद दोस्त या रिश्तेदार के गले लगकर अपने दिल की बात कहने की क्या अहमियत है यह कोई एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या (actor sushant singh rajput suicide case) प्रकरण से समझ सकता है। काम न मिलने के तनाव और लॉकडाउनके चलते अपनों के साथ से महरूम सुशांत को आखिर डिप्रेशन (sushant singh rajput was in depression) से मुक्ति पाने का सबसे आसान तरीका आत्महत्या करना ही लगा। काश तब उनकेपास कोई अपना होता जो उन्हें गले लगाता और कहता है कि मैं तुम्हारे साथ हूं और हम हर परिस्थिति का मिलकर सामना करेंगे। दरअसल अपनों के गले लगना या उन्हें गले लगाना हमारी बहुत सी शारीरिक और मानसिक परेशानियों को हल कर सकता हे। वैज्ञानिक भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि गले लगाने में गजब की जादूई शति होती है जो बड़े से बड़े दर्द को कम कर सकती है।
दरअसल जादू की झप्पी लेना-देना यानी गले मिलते रहना ढलती आयु के लोगों के लिए फिट रहने का सबसे अच्छा उपचार है। केलीफोर्निया के एक विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों द्वारा किए गए शोध के मुताबिक, लोगों से गले मिलना मानव शरीर की हड्डियों और मांसपेशियों के लिए लाभदायक है जिससे लोग खुद को जवान महसूस करते हैं। इस रिसर्च के अनुसार ढलती आयु के कारण शरीर में ऐसे रसायनों की कमी हो जाती है जो हड्डियों व जोड़ों में दर्द से राहत दिलाते हैं। साथ ही गले मिलने से मानव शरीर को पर्याप्त मात्रा में हार्मोंस मिल जाते हैं जिससे हड्डियों का दर्द कम हो जाता है और हम खुद को पहले की तुलना में जवां महसूस करने लगते हैं।
Experts का कहना है कि जब आप किसी को गले लगाते हैं, तो उसे सीधे-सीधे यह महसूस कराते हैं कि आप उसकी केयर करते हैं। इससे दोनों को ही ‘फील गुड’ महसूस होता है। यही नहीं, हग थैरेपी से जुड़े लोगों का मानना है कि जब इंसान परेशानी या निराशा से घिरा होता है, तब उसपर बातों का कोई असर नहीं होता। वहीं, उसे गर्माहट से गले लगाने से उसका मन हल्का हो जाता है। असल में पूरे इमोशंस के साथ गले लगाने का सीधा असर दिल व दिमाग पर पड़ता है।
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