सुबह खाली पेट कॉफी पीने के नुकसान : Disadvantages of drinking coffee on an empty stomach in the morning
स्ट्रेस हार्मोन बढ़ने कि संभावना सुबह खाली पेट कॉफी (coffee) पीने की आदत से शरीर में कॉर्टिसोल का स्तर बढ़ सकता है, जो ओव्यूलेशन, वजन और हार्मोनल संतुलन पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। कॉर्टिसोल, जिसे तनाव हार्मोन कहा जाता है, ऊर्जा को नियंत्रित करता है और आपको अधिक सतर्क महसूस करने में मदद करता है। जब आप जागती हैं, तो शरीर में स्वाभाविक रूप से कॉर्टिसोल का स्तर ऊँचा होता है। यदि आप खाली पेट कॉफी का सेवन करती हैं, तो यह स्तर और भी बढ़ सकता है, जिससे आपके मूड पर असर पड़ सकता है। अवशोषण पर असर कॉफी में टैनिन नामक एक यौगिक पाया जाता है, जो आयरन और कैल्शियम जैसे कुछ महत्वपूर्ण पोषक तत्वों के अवशोषण में रुकावट डाल सकता है। सुबह उठते ही खाली पेट कॉफी (coffee) का सेवन करने से शरीर की इन आवश्यक पोषक तत्वों को अवशोषित करने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। यदि आप नियमित रूप से खाली पेट कॉफी का सेवन करती हैं, तो समय के साथ आपकी शरीर में इन पोषक तत्वों की कमी हो सकती है। यह स्थिति उन व्यक्तियों के लिए अधिक गंभीर हो सकती है, जो पहले से किसी स्वास्थ्य समस्या से ग्रसित हैं।
डिहाइड्रेशन कैफीन एक ड्यूरेटिक के रूप में कार्य करता है, जिसका अर्थ है कि यह यूरिन के उत्पादन को बढ़ाता है। इसके परिणामस्वरूप, व्यक्ति को बार-बार यूरिन पास करने की आवश्यकता होती है और शरीर से पानी की कमी हो सकती है। यदि इसे खाली पेट लिया जाए, तो कॉफी (coffee) डिहाइड्रेशन को बढ़ा सकती है, विशेषकर जब पूरे दिन पर्याप्त तरल पदार्थ का सेवन नहीं किया जाता। डिहाइड्रेशन के कारण सिरदर्द, चक्कर आना और थकान जैसे लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं, जो समग्र स्वास्थ्य और ऊर्जा स्तर पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
एसिडिटी का खतरा कॉफी में एसिड की मात्रा अधिक होती है, और जब इसे खाली पेट सेवन किया जाता है, तो यह पेट में एसिडिटी की समस्या को बढ़ा सकता है। कैफीन और उच्च एसिडिकता के कारण यह पेट की आंतरिक परत को प्रभावित कर सकता है, जिससे असुविधा और एसिड रिफ्लक्स की समस्या उत्पन्न हो सकती है। समय के साथ, एसिडिक कॉफी के निरंतर सेवन से गैस्ट्राइटिस या पेप्टिक अल्सर जैसी गंभीर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं का विकास होने का जोखिम बढ़ जाता है।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।