Sexual crimes in India : मादक पदार्थों और शराब का प्रभाव
डॉ. देसाई बताते हैं कि मादक पदार्थों और शराब का सेवन भी यौन अपराधों (Sexual offences) के पीछे एक महत्वपूर्ण कारण है। शराब और अन्य मादक पदार्थों का उपयोग न केवल अपराधियों की मानसिक स्थिति को प्रभावित करता है, बल्कि उनके आचरण में भी उग्रता और हिंसा को बढ़ावा देता है। यह स्थिति तब और विकट हो जाती है जब इन तत्वों के साथ आर्थिक शक्ति और सामाजिक-राजनीतिक कारक भी शामिल हो जाते हैं।
कानूनी हस्तक्षेप बनाम रोकथाम
डॉ. देसाई का कहना है कि हमारे समाज में ज्यादातर उपाय घटना के बाद ही किए जाते हैं। उनका मानना है कि कानून बनाना और कठोर सजा देना अपराधों को रोकने का एकमात्र तरीका नहीं है। इससे अधिक महत्वपूर्ण है कि समाज में ऐसी स्थितियों को उत्पन्न होने से पहले ही रोका जाए।
रोकथाम के उपाय: प्रोफाइलिंग या सहायता?
डॉ. देसाई के अनुसार, भारतीय जैसे संक्रमणकालीन समाज में, यौन अपराधों (Sexual offences) को रोकने के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपाय है संभावित अपराधियों की पहचान और उन्हें सुधारने में मदद करना। हालांकि, प्रोफाइलिंग जैसे शब्द का उपयोग समाज में नकारात्मकता ला सकता है, लेकिन अपराध की प्रवृत्ति रखने वाले लोगों की पहचान कर उन्हें समय रहते मदद प्रदान की जानी चाहिए। इससे अपराधों को घटाया जा सकता है और समाज में सुरक्षा का माहौल स्थापित किया जा सकता है।
समाज का दायित्व
डॉ. देसाई यह भी मानते हैं कि यौन अपराधों (Sexual offences) को रोकने की जिम्मेदारी केवल सरकार या कानून व्यवस्था पर नहीं है, बल्कि समाज के हर वर्ग का इसमें योगदान होना चाहिए। समुदायों को संवेदनशीलता बढ़ाने, जागरूकता फैलाने और संभावित अपराधियों को सुधारने के लिए प्रयास करना चाहिए। तभी हम एक सुरक्षित और स्वस्थ समाज का निर्माण कर सकते हैं। इस प्रकार, यौन अपराधों को रोकने के लिए न केवल कठोर कानूनों की आवश्यकता है, बल्कि समाज में मानसिकता और व्यवहार में भी परिवर्तन लाने की जरूरत है। इसके लिए हर व्यक्ति और समुदाय का सहयोग आवश्यक है।