इन विशेषज्ञों के अनुसार, थकावट, रात को पसीना आना, बुखार और वजन का बिना वजह कम होना आदि लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ और खून वाली खांसी होना टीबी के बढ़ जाने के संकेत हो सकते हैं।
डॉक्टर रंगनाथ आर, जो बेंगलुरु के नारायण हेल्थ सिटी में फेफड़े के रोग विभाग के प्रमुख और टीबी के विशेषज्ञ हैं, का कहना है कि “इन अलग-अलग लक्षणों पर नजर रखना बीमारी को जल्दी पकड़ने और उसका इलाज करने के लिए बहुत जरूरी है। खासकर उन इलाकों में रहने वाले लोगों को तुरंत डॉक्टर के पास जाने पर ध्यान देना चाहिए जहां टीबी ज्यादा फैली हुई है।”
हाल ही में अफ्रीका और एशिया के आठ देशों में 12 सर्वेक्षण (620,682 लोगों को लेकर) का विश्लेषण किया गया। इस अध्ययन में पाया गया कि ज्यादातर टीबी के मरीजों को खांसी नहीं थी, खासकर महिलाओं में।
डॉक्टर लैंसलोट पिंटो, जो मुंबई के पी. डी. हिंदुजा अस्पताल और एमआरसी में फेफड़े के रोग विशेषज्ञ और महामारी विज्ञानी हैं, का कहना है कि “हमारे तजुर्बे में अक्सर महिलाएं देर से इलाज कराने आती हैं और या तो खांसी को नजरअंदाज कर देती हैं या फिर बताती ही नहीं हैं। यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि टीबी सिर्फ फेफड़ों को ही नहीं प्रभावित करती, बल्कि शरीर के अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकती है और ऐसे मामलों में खांसी नहीं होती है।”
हाल ही में लैंसेट संक्रामक रोगों की पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि 82.8 प्रतिशत टीबी रोगियों को लगातार खांसी नहीं थी और 62.5 प्रतिशत को बिल्कुल भी खांसी नहीं थी।
विशेषज्ञों का कहना है कि टीबी के विभिन्न लक्षणों के बारे में जागरूकता फैलाने से इस संक्रामक बीमारी का जल्दी पता लगाकर उसका इलाज किया जा सकता है और इसके फैलने को रोका जा सकता है।