अमेरिका में हुए एक अध्ययन में पाया गया है कि पिछले बीस वर्षों में वहां युवाओं में कोलोरेक्टल कैंसर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। यह अध्ययन 2024 के पाचन रोग सप्ताह में पेश किया जाएगा।
अध्ययन में पाया गया कि 1999 से 2020 के बीच 10 से 14 साल के बच्चों में कोलोरेक्टल कैंसर की दर 500% बढ़ी है, 15 से 19 साल के किशोरों में 333% और 20 से 24 साल के युवा वयस्कों में 185% बढ़ी है।
अध्ययन के मुख्य शोधकर्ता डॉ. इस्लाम मोहम्मद का कहना है कि “कोलोरेक्टल कैंसर अब केवल बुजुर्गों की बीमारी नहीं रह गया है। यह जरूरी है कि युवा भी इसके लक्षणों को जानें।”
मरीजों में कब्ज या दस्त, पेट दर्द, मल में रक्तस्राव शुरुआती लक्षण
शोध में पाया गया है कि शुरुआती अवस्था में कोलोरेक्टल कैंसर के मरीजों में कब्ज या दस्त, पेट दर्द, मल में रक्तस्राव और आयरन की कमी से होने वाले खून की कमी के लक्षण दिखाई देते हैं। अध्ययन में यह भी पाया गया कि बड़ी उम्र के लोगों में भी कोलोरेक्टल कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। 30 से 34 साल के लोगों में 71% और 35 से 39 साल के लोगों में 58% की वृद्धि देखी गई है।
अध्ययन के अनुसार कोलन कैंसर के खतरे को बढ़ाने वाले कारकों में परिवार में सूजन आंत्रीय रोग या कोलोरेक्टल कैंसर का इतिहास शामिल है। इसके अलावा मोटापा, धूम्रपान, शराब का सेवन, कम फाइबर वाला आहार, प्रसंस्कृत मांस या मीठी पेय पदार्थों का सेवन और ज्यादा वसायुक्त भोजन करना भी खतरे को बढ़ा सकता है।
अध्ययन में निष्क्रिय जीवनशैली, ट्यूमर पैदा करने वाले बैक्टीरिया, एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग और खाद्य योजक को भी संभावित कारण बताया गया है, लेकिन इनके बारे में अभी और शोध की जरूरत है। अध्ययन में 40 से 44 साल के लोगों में कोलोरेक्टल कैंसर की दर कम बढ़ी है, लेकिन फिर भी इस उम्र वर्ग में यह बीमारी सबसे ज्यादा पाई गई। 2020 में इस उम्र वर्ग के 1,00,000 लोगों में 20 मामले सामने आए।
इन निष्कर्षों से युवाओं में बढ़ते कोलोरेक्टल कैंसर के मामलों से लड़ने के लिए जागरूकता, जल्दी पहचान और लक्षित उपचार की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है। भारत में भी दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान (DSCI) द्वारा 2023 में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, कोलन कैंसर 31 से 40 साल के युवाओं में भी पाया जा रहा है।