बल्लारी जिला अस्पताल में पांच मातृ मौत के बाद राजीव गांधी आरोग्य विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम गठित कर जांच की गई। विशेषज्ञों का एक पैनल रिंगर लैक्टेट आइवी सॉल्यूशन को लेकर संशय में था। रिपोर्ट के मद्देनजर, एहतियात के तौर पर, पश्चिम बंगाल कंपनी द्वारा आपूर्ति किए गए सॉल्यूशन के सभी बैचों को रोक दिया गया है और उनका परीक्षण किया गया है। नौ बैच अच्छी गुणवत्ता के नहीं पाए जाने पर कंपनी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
हालांकि, राज्य औषधि नियंत्रक ने रिपोर्ट दी थी कि 22 बैच घटिया थे। सेंट्रल ड्रग लैब ने बताया था कि चार बैच मानक गुणवत्ता के थे। इस संबंध में केंद्रीय औषधि नियंत्रक को पत्र लिखा गया और मातृ मौतों का हवाला देते हुए कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया। जब केंद्रीय औषधि नियंत्रक समेत राज्य और पश्चिम बंगाल के औषधि नियंत्रकों ने कंपनी की विनिर्माण इकाई का दौरा किया और निरीक्षण किया, तो उन्होंने बताया कि उत्पादन में कोई अत्याधुनिक प्रणाली नहीं थी। साथ ही पश्चिम बंगाल की कंपनी पर सॉल्यूशन बनाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है।
मंत्री ने कहा कि सरकार ने पहले भी दो बार कंपनी को काली सूची में डाला था, लेकिन कंपनी ने आदेश के खिलाफ स्थगन प्राप्त कर लिया। उन्होंने यह भी कहा कि घटिया पाई गई दवा केंद्र सरकार की प्रयोगशाला में जांच के दौरान सुरक्षित पाई गई।
केंद्रीय कानून ढीले पीड़िताओं के परिवारों के लिए पांच-पांच लाख रुपए के मुआवजे की घोषणा की गई है और पश्चिम बंगाल कंपनी से और अधिक मुआवजा दिलाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। यह सच है कि दवा प्रणाली में खामियां हैं। देश में ड्रग लॉबी Drug Lobby मजबूत है। इसे नियंत्रित करने में हमारे केंद्रीय कानून ढीले हैं। राज्य सरकार अपने स्तर पर व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए गंभीर प्रयास कर रही है। इस संबंध में राज्य औषधि नियंत्रण विभाग और खाद्य सुरक्षा विभाग का विलय किया गया है।
छुपाने का सवाल नहीं उठता मंत्री ने कहा कि बल्लारी जिला अस्पताल में मातृ मौत का मामला एकमात्र मामला नहीं है। कई मामले सामने नहीं आते हैं। कुछ भी छुपाने का सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने सभी मामलों की जांच कर रिपोर्ट देने के लिए कहा है। शोक संतप्त परिवारों को न्याय दिलाना हमारी जिम्मेदारी है।