2006 का कानून पर्याप्त नहीं
कोर्ट ने खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2006 को मिलावट की समस्या रोकने के लिए पर्याप्त नहीं मानते हुए कहा कि यह कानून असंगठित क्षेत्र, हॉकर्स आदि पर लागू न होकर सिर्फ प्रोसेसिंग यूनिट पर लागू होता है। इसके अलावा सैंपल जांचने की लैब भी कम हैं। तकनीक के अभाव में खाद्य प्राधिकारी उचित निगरानी नहीं रख पाते हैं।ये दिए निर्देश
– केन्द्र और राज्य सरकार खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2006 को पुख्ता बनाने के लिए कदम उठाए। – राज्य खाद्य सुरक्षा प्राधिकारी मिलावट को लेकर हाई रिस्क एरिया और समय चिह्नित करें।20 फीसदी खाद्य पदार्थ असुरक्षित 20% of food is unsafe
कोर्ट ने मिलावट को लेकर कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय के रिकॉर्ड के अनुसार बाजार में बिक रहे 20 फीसदी खाद्य पदार्थ मिलावटी या असुरक्षित गुणवत्ता के हैं। खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण के सर्वे के अनुसार 70% दूध में पानी मिला होता है और दूध में डिटर्जेंट मिला होने के प्रमाण भी सामने आए हैं।
कैंसर का खतरा Cancer risk
खाद्य पदार्थों में मिलावट से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। निम्नलिखित तरीके से मिलावट कैंसर उत्पन्न कर सकती है: रासायनिक पदार्थ: खाद्य पदार्थों में मिलाए जाने वाले रासायनिक पदार्थ जैसे कि आर्टिफिशियल कलर, प्रिजर्वेटिव, और फ्लेवर कैंसर के कारण बन सकते हैं। ये रसायन शरीर में विषैले प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं।मिश्रित धातुएं: कई बार खाद्य पदार्थों में भारी धातुओं की मिलावट की जाती है जो कि कैंसर के कारक हो सकते हैं।
संक्रमित पदार्थ: मिलावट के कारण खाद्य पदार्थों में बैक्टीरिया और वायरस भी प्रवेश कर सकते हैं, जो कैंसर सहित कई अन्य बीमारियाँ उत्पन्न कर सकते हैं।
रोकथाम के उपाय
मिलावट को रोकने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं:
कानूनी उपाय: सरकार को सख्त कानून बनाने और उनका प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।जागरूकता अभियान: जनता को मिलावट के खतरों और बचाव के तरीकों के बारे में जागरूक करना चाहिए।
प्रयोगशालाओं की स्थापना: खाद्य पदार्थों की जांच के लिए अधिक से अधिक प्रयोगशालाओं की स्थापना की जानी चाहिए।
स्वयं की सतर्कता: हमें स्वयं भी सतर्क रहना चाहिए और किसी भी संदिग्ध खाद्य पदार्थ का सेवन करने से बचना चाहिए।