दो तरह का होता है किडनी रोग
किडनी में दो तरह की परेशानियां होती हैं। पहला एक्यूट किडनी डिजीज जो अचानक होती है और किडनी की कार्यक्षमता तेजी से कम हो जाती है। इसके कई कारण होते हैं जिसमें शरीर में किसी तरह का संक्रमण (सेप्सिस), उल्टी दस्त, मलेरिया, अत्यधिक दर्दनिवारक दवाएं लेने से और ब्लड प्रेशर लगातार कम होने से। एक्यूट किडनी डिजीज का समय पर इलाज कराया जाए तो ये पूरी तरह ठीक हो सकती है। क्रॉनिक किडनी डिजिज में किडनी की कार्यक्षमता में धीरे-धीरे गिरावट आती है। इसमें रक्त यूरिया, सिरम क्रेटनीन बढऩे लगता है। खानपान में परहेज और दवाइयों से इसके बढऩे की गति को कम किया जा सकता है पर खत्म नहीं किया जा सकता है। ब्लड यूरिया और क्रेटनीन की मात्रा बढऩे से किडनी फेल होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
कभी एक किडनी नहीं होती है खराब
किडनी खराब होने का बड़ा कारण आज के समय में हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज है। ध्यान रहे कि दोनों किडनी एक साथ खराब होती है। तभी यूरिन और क्रेटनीन का स्तर बढ़ता है। किडनी अगर थोड़ा भी ठीक है तो बेहतर काम करेगी और किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होगी। क्रॉनिक किडनी डिजिज होने पर वजन के हिसाब से रोगी को 0.8 ग्राम प्रोटीन प्रति किलोग्राम देते हैं। मानक के अनुसार स्वस्थ व्यक्ति को प्रति किलो एक ग्राम प्रोटीन लेना चाहिए।
किडनी रोग होने के प्रमुख लक्षण
किडनी संबंधी परेशानी होने पर शरीर में सूजन, आंखों और पलकों के नीचे सूजन, शाम होते- होते ये सूजन पैरों तक आ जाती है। भूख न लगना, जी मिचलाना, थकावट, रात के समय दो से तीन या अधिक बार यूरिन के लिए उठना, थकावट और खून की कमी प्रमुख लक्षण हैं। हालांकि ध्यान रखें शरीर में सूजन किडनी रोग का 100 फीसदी संकेत नहीं है। एक किडनी है तो किडनी पर चोट नहीं लगे इसका ध्यान रखें। किसी तरह के संक्रमण या किडनी स्टोन को लेकर सतर्क रहें।
इन जांचों से पता चलती किडनी की सेहत
किडनी रोग से बचाव के लिए डॉक्टरी सलाह पर हीमोग्लोबिन, ब्लड यूरिया, सिरम क्रेटनीन, सिरम इलेक्ट्रोलाइट और किडनी फंक्शन टैस्ट करा सकते हैं। किडनी का आकार जानने के लिए सोनोग्राफी जांच करवाते हैं। गंभीर स्थिति में रीनल बायोप्सी जांच कराई जाती है। 40 की उम्र के बाद नियमित ब्लड प्रेशर की जांच कराते रहना चाहिए। जिन्हें डायबिटीज, ब्लड प्रेशर की तकलीफ है। घर परिवार में किसी को पहले से किडनी रोग है। बचपन में यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन या यूरिन में संक्रमण रहा है उन्हें अपना खास खयाल रखना चाहिए।
किडनी रोग में पानी हिसाब से पीना चाहिए
किडनी के मरीज में यूरिन कम बनता है। ऐसे में पानी अधिक पीने से शरीर में सूजन आएगी। सूजन आने से ब्लड प्रेशर असंतुलित होगा और सांस फूलने लगेगी। जितना यूरिन आ रहा है उससे ज्यादा पानी नहीं पीना चाहिए। यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन के रोगी को पानी थोड़ा अधिक पीना चाहिए।
जानिए किन्हें होती है डायलिसिस की जरूरत
डायलिसिस क्रॉनिक किडनी डिजिज के मरीजों की होती है जो लास्ट स्टेज में होते हैं। डायलिसिस यूनिट में मरीज के खून को मशीन में सर्कुलेट किया जाता है। इस प्रक्रिया में खून में मौजूद हानिकारक और विषैले तत्त्वों को साफ करने के बाद साफ खून शरीर में चला जाता है। औसतन हफ्ते में दो से तीन बार डायलिसिस होती है। रोगी की स्थिति के अनुसार ये कम या ज्यादा हो सकती है। डायलिसिस में करीब चार घंटे का समय लगता है।
किडनी प्रत्यारोपण बेहतर विकल्प
क्रॉनिक किडनी डिजिज के गंभीर होने पर किडनी ट्रांसप्लांट बेहतर विकल्प है। मां-बाप, भाई बहन या अन्य करीबी रिश्तेदार जो नियम के दायरे में आते हैं वे किडनी दान कर सकते हैं। किडनी प्रत्यारोपण के बाद समय पर दवा लेने के साथ खानपान और दिनचर्या का खास खयाल रखना चाहिए। 18 से 60 साल की उम्र का स्वस्थ व्यक्ति किडनी दान कर सकता है। नियमित एरोबिक्स एक्सरसाइज करने के साथ खानपान में फल और हरी सब्जियां खानी चाहिए। वसायुक्त खाद्य पदार्थ के प्रयोग से बचें।- डॉ. संजीव शर्मा, नेफ्रोलॉजिस्ट