स्वास्थ्य

Mental Health पर बड़ा संकट: भारत में 150 मिलियन लोगों को उपचार की दरकार

Mental Health Crisis : भारत में मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं, जो बेहद चिंताजनक है। ताजा शोध के अनुसार, देश में लगभग 150 मिलियन लोगों को मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के उपचार की आवश्यकता है।

जयपुरAug 16, 2024 / 03:10 pm

Manoj Kumar

150 Million Indians Need Mental Health Support

Mental Health Crisis : भारत में मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं, जो बेहद चिंताजनक है। ताजा शोध के अनुसार, देश में लगभग 150 मिलियन लोगों को मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के उपचार की आवश्यकता है। दुर्भाग्य से, उनमें से केवल एक छोटा हिस्सा ही उपयुक्त उपचार प्राप्त कर पाता है।

ग्रामीण भारत: चिंता और अवसाद का प्रसार 150 Million Indians Need Mental Health Support: Rural Areas Particularly Affected

ग्रामीण इलाकों की स्थिति और भी गंभीर है। यहां 45 प्रतिशत लोग मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) से जुड़ी चिंताओं से पीड़ित हैं। इन समस्याओं का एक प्रमुख कारण गांवों में मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) विशेषज्ञों की कमी है, जिससे बड़ी आबादी को समय पर इलाज नहीं मिल पाता।

शोध की नई पहल: डिजिटल और सामुदायिक समर्थन New research initiatives: digital and community support

इस मुद्दे के समाधान के लिए, भारतीय शोधकर्ताओं की एक टीम ने डिजिटल स्वास्थ्य सेवा और समुदाय-आधारित अभियान के माध्यम से एक नई पहल शुरू की है। इस पहल का उद्देश्य ग्रामीण भारत में अवसाद, चिंता, और आत्म-क्षति के जोखिम को कम करना है। इस प्रयास के बारे में जॉर्ज इंस्टीट्यूट इंडिया के अनुसंधान निदेशक और मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) कार्यक्रम के निदेशक, प्रोफेसर पल्लब मौलिक ने बताया कि, “हमारे शोधकर्ताओं द्वारा किया गया यह शोध मानसिक स्वास्थ्य देखभाल में एक मील का पत्थर साबित होगा।”

अध्ययन का स्वरूप और परिणाम

यह अध्ययन आंध्र प्रदेश के पश्चिमी गोदावरी और हरियाणा के फरीदाबाद और पलवल जिलों के 9,900 लोगों पर केंद्रित था। जॉर्ज इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ के शोधकर्ताओं की अगुवाई में इस अध्ययन के तहत चिकित्सा मूल्यांकन, रेफरल, और उपचार (स्मार्ट) पर कार्य किया गया। इस पहल में ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के लिए प्रशिक्षित किया गया।
टीम ने गांवों में 12 महीने तक दो मुख्य बिंदुओं पर काम किया। पहले बिंदु के तहत, समुदाय के साथ मिलकर मानसिक तनाव (Mental Health) को दूर करने के लिए सामुदायिक अभियान चलाए गए। वहीं, दूसरे बिंदु के तहत डिजिटल हेल्थकेयर की पहल से गंभीर मानसिक तनाव से पीड़ित लोगों को सहायता प्रदान की गई।

शोध के प्रभावशाली परिणाम

जेएएमए साइकियाट्री जर्नल में प्रकाशित निष्कर्षों से पता चला है कि इस अध्ययन के बाद एक वर्ष के भीतर लोगों में अवसाद के जोखिम में उल्लेखनीय कमी आई है। प्रोफेसर मौलिक के अनुसार, “यह अध्ययन विश्व स्तर पर अपनी तरह का सबसे बड़ा अध्ययन है, और इससे बीते एक वर्ष में अवसाद के जोखिम में पर्याप्त कमी देखी गई है।”

वैश्विक रणनीतियों का समर्थन

यह नया निष्कर्ष विश्व स्वास्थ्य संगठन और लैंसेट आयोग द्वारा दुनिया भर में मानसिक विकारों (Mental Health) के प्रभाव को कम करने के लिए नई रणनीतियों के आह्वान का समर्थन करता है। ये रणनीतियां स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार कुछ समायोजन के साथ निम्न और मध्यम आय वाले देशों तथा उच्च आय वाले देशों के निर्धन क्षेत्रों में काम कर सकती हैं।
भारत में मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं, और ग्रामीण इलाकों में स्थिति विशेष रूप से गंभीर है। इस स्थिति में डिजिटल स्वास्थ्य सेवा और सामुदायिक समर्थन जैसी पहलें अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। इन नए शोधों और पहलों के माध्यम से, मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ेगी और उन्हें आवश्यक उपचार समय पर मिल सकेगा। यह न केवल ग्रामीण इलाकों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक सकारात्मक बदलाव का संकेत है।

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