ऐसा हम नहीं कह रहे हैं बल्कि यह आशंका नागरिक अधिकार संस्था ने जताई है। अपनी एक रिपोर्ट को सार्वजनिक करते हुए संस्था के पदाधिकारियों ने कहा है कि केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल सीआरपीएफ की तैनाती से पीड़ित परिवार को राहत भले ही मिली हो लेकिन यह परिवार अभी भी सुरक्षित नहीं है। अभी भी यह परिवार नजरबंद जैसी स्थितियों में रह रहा है।
पीयूसीएल ने शनिवार को लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान यह बातें कही। उन्होंने कहा कि पीड़ित परिवार के सदस्यों ने यह आशंका जताई है कि अगर सीआरपीएफ को हटा लिया गया तो उनकी जान को खतरा हो जाएगा। पीयूसीएल के सदस्य कमल सिंघी ने उदाहरण के तौर पर कहा कि जब वह पीड़ित परिवार से मिलने गए तो उन्हें ऐसा लगा कि वह जेल में बंद किसी आतंकवादी से मिलने जा रहे हों। उन्होंने यह भी कहा कि सीबीआई भले ही इस मामले की स्वतंत्र रूप से जांच कर रही हो लेकिन अभी भी पीड़ित परिवार पूरी तरह से आश्वस्त नहीं है और उन्हें अपनी जान का खतरा महसूस हो रहा है। संस्था ने कहा है कि परिवार को इस बात का डर सता रहा है कि जब सीआरपीएफ हट जाएगी, हालात सामान्य हो जाएंगे तो ऊंची जाति के लोग पुलिस प्रशासन से सांठगांठ कर लेंगे और ऐसे में उनका जीना दूभर हो जाएगा।
संस्था के पदाधिकारियों ने निर्भया फंड से परिवार के पुनर्वास की व्यवस्था कराए जाने की भी मांग की उन्होंने कहा कि जल्द से जल्द परिवार को सहायता दी जाए और उनका पुनर्वास किया जाए। इसके साथ-साथ संस्था के पदाधिकारियों ने पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की है। उन्होंने कहा है कि जिन पुलिसकर्मियों ने पीड़िता का गलत तरीके से अंतिम संस्कार किया है उनके खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए सीबीआई को भी इस मामले में कदम उठाना चाहिए।