समारोह के बाद आदिवासी समाज की ओर से रैली निकाली गई। रैली कलेक्ट्रेट, बायपास चौराहा, परशुराम चौक, चांडक चौक, नारायण टॉकीज चौक होते हुए अंबेडकर चौक पहुंचकर समाप्त हुई। जगह-जगह रैली का स्वागत किया गया। कांग्रेस की ओर से पूर्व नपाध्यक्ष हेमंत टाले, नरेंद्र पालीवाल, देवकीनंदन लल्ला, अनिल बंसल, अशोक मोयल सहित अन्य ने रैली का स्वागत किया।
खिरकिया. संविधान ने आदिवासियों को विशेष अधिकार दिए हैं पर फिर भी वे गरीब हैं। शक्तिहीन हैं, इसलिए आज भी शोषण हो रहा है। विश्व आदिवासी दिवस पर स्थानीय कृषि उपज मंडी प्रांगण में आयोजित कार्यक्रम में आदिवासी नेताओं ने यह चिंता व्यक्त की। कार्यक्रम में आदिवासियों की संस्कृति अक्षुण्ण बनाए रखने के उपाय करने की बात भी कही गई। आदिवासियों में शिक्षा के महत्व को रेखांकित किया गया। कार्यक्रम मेें अतिथियों द्वारा उदबोधन में जल-जंगल-जमीन ,स्वास्थ्य व शिक्षा के बारे में बात कही गई। मुख्य अतिथि अशोक बाबा, विशेष अतिथि रामाधार दरबार, आमंत्रित अतिथि मांगीलाल सोमगांव ,अमरसिंह देवड़ा ,बादामिलाल मौर्य,चम्पालाल कासदे छुरिखाल ,विलसन उइके आदि थे। वक्ताओं ने कहा कि संवैधानिक अधिकार भारतीय संविधान ने हमें दिया है, इसे अपने समाज-राज्य और देश-हित में उपयोग कर पा रहे हैं या नहीं। आदिवासियों में शिक्षा का बहुत अभाव है और शैक्षणिक संस्थाओं की कमी है। आदिवासी समुदायों के साथ शोषण भी बहुत होता है, क्योंकि वे गरीब और मजदूर वर्ग के लोग हैं. आदिवासी समुदाय के पास शक्तियों का अभाव है, इसलिए ताकतवर लोग उनका शोषण करते हैं। टीआर चौहान द्वारा आदिवासियों को शिक्षा के साथ ही नोकरी के पीछे न भागते हुए स्वरोजगार के अवसर तलाशने पर बल दिया गया। कार्यक्रम को श्रीकिशन उइके,श्रीराम उइके,सुमेर उइके,विलसन उइके आरभी भलावी,नेमीचंद कासदे, बीएस मोहानिया, निर्मल निकुम आदि ने सम्बोधित किया। इसके बाद शहर के मुख्य मार्ग से एक रैली निकाली गई, जो मंडी प्रांगण से भीमराव अंबेडकर भवन तक गई।