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हरदा

व्यंकटेश हॉस्पिटल में डॉ.हेडा दंपति बिना वैध डिग्री के कर रहे सीजर

व्यंकटेश हॉस्पिटल में डॉ.हेडा दंपति बिना वैध डिग्री के कर रहे सीजर सीएमएचओ ने निरीक्षण में पकड़ी गड़बड़ी,कारण पूछा,आरटीआई में खुलासा मामला मचा तब डॉ. ने सीजर करने की मांगी अनुमति दलील-अनुभव और सर्टिफिकेट के आधार पर इमरजेेंसी में किए सीजर,सवार,क्या पूरे शहर में नहीं थी कोई महिला स्त्री रोग विशेषज्ञ हरदा। जिला अस्पताल से कुछ ही दूरी पर एलआईजी कॉलोनी में स्थित व्यंकटेश नर्सिंग होम के संचालक डॉ.बृजेश हेडा व उनकी पत्नी संध्या हेडा लंबे समय से बिना योग्य डिग्री व पात्रता के एलएससीएस यानि निम्न गर

हरदाFeb 07, 2023 / 02:43 pm

Mahesh bhawre

व्यंकटेश हॉस्पिटल में डॉ.हेडा दंपति बिना वैध डिग्री के कर रहे सीजर

Dr. Heda couple doing Caesar without valid degree in Venkatesh Hospital


—बजाज ने आरटीआई से मिले प्रमाणित दस्तावेजों का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि डॉ.बृजेश हेडा एमबीबीएस,एमएस जनरल सर्जन व उनकी पत्नी डॉ.संध्या हेडा एमबीबीएस मिलकर अवैध तरीके से एलएससीएस ऑपरेशन कर रहे हैं। जिनकी उनके पास वैधानिक डिग्री नहीं है। मात्र अनुभव,अनुभव सर्टिफिकेट कोर्स के आधार पर सीजर कोई व्यक्ति कैसे पात्र हो सकता है। उन्होंने इसे कमाई का जरिया बना रखा है। उन्होंने कहा कि सीएमएचओ के निरीक्षण में एलएससीएस ऑपरेशन करने का खुलासा हुआ,तब डॉ.हेडा ने माना कि वे अनुभव के आधार पर सीजर कर रहे हैं,तो सीएमएचओ द्वारा कार्रवाई नहीं करना कई सवाल खड़े करता है। बजाज ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के पास जिले के नर्सिंग होम में हुए सीजर व नार्मल डिलेवरी के आंकडे तक नहीं है,इससे मिलीभगत उजागर होती है। व्यंकटेश हॉस्पिटल ने पहले डॉ.यामिनी मानकर गायनोलाजिस्ट का मंजूरी पत्र लगाया,जिसे डॉ.मानकर ने खारिज कर असहमति जताई,फिर भी सीएमएचओ ने कार्रवाई जरूरी नहीं समझी। 31 अगस्त 21 को की शिकायत के 18 माह बाद भी सीएमएचओ ने कार्रवाई नहीं की। बजाज ने मप्र मेडिकल कौंसिल को शिकायत की,जिन्होंने इसे अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर का बताकर सीएमएचओ को पत्र भेजा। फिर भी कार्रवाई नहीं हुई। सीएम हेल्प लाइन से भी न्याय नहीं मिला। बजाज ने दावा किया कि उक्त डॉ. दंपति द्वारा अनुभव सर्टिफिकेट कोर्स व अनुभव के आधार पर बाद में सीजर करने की अनुमति मांगना सिद्ध करता है कि वे इसके योग्य नहीं हैं। फिर भी कार्रवाई न करना समझ से परे है।

4 साल में ऑपरेशन से कमाए 2 करोड़:
बजाज को आरटीआई में दिए कागजों के अनुसार व्यंकटेश हॉस्पिटल 2017-18 से 31 जुलाई 21 तक 500 सीजर किए गए। औसतन एक प्रति सीजर 40 हजार रूपए न्यूनतम लिए जाते हैं। इस मान से 2 करोड़ रूपए वसूले गए। बड़ा सवाल यह है कि जब सीजन की पात्रता ही नहीं थी तो यह किसने तय किया कि सीजर से ही प्रसव होगा,जबकि यह किसी महिला राेग विशेषज्ञ यानि गायनोलॉजिस्ट ने पर्चे पर लिखा ही नहीं। बजाज ने डॉ.हेडा दंपति के खिलाफ वैधानिक जांच कर एफआईआर दर्ज कराने,नर्सिंग होम का लाइसेंस व दोनों का पंजीयन निरस्त करने की मांग की।
ये है मामला:

सीएमएमओ ने 23 अप्रैल 21 को श्री व्यंकटेश हास्पिटल का निरीक्षण किया। लाइसेंस,पंजीयन निरस्त करने पत्र भेजा। इसमें लिखा कि हॉस्पिटल में 10 बेड हैं। मापदंड अनुसार नर्सिंग स्टाफ की कमी थी। हॉस्पिटल का ओटी रजिस्टर देखा। इसमें पाया कि हॉस्टिपल में आपके द्वारा एलएससीएस ऑपरेशन भी किए जा रह हैं,जबकि स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं है। ओटी रजिस्टर भी मापदंड अनुसार मेंटेन नहीं किया जा रहा है। बिना रेडियाेलाजिस्ट व एक्सरे टेक्निशियन के एक्सरे भी किए जा रहे हैं। बायोमेडिकल वेस्ट अलग रखने के लिए भी मानकों अनुसार कमरा नहीं है। सीएमएचओ ने कहा कि लाइसेंस,पंजीयन निरस्त करने की कार्रवाई शुरू की जा रही है,एक माह में अभ्यावेदन पत्र दें। ऐसा न करने पर लाइसेंस पंजीयन निरस्त माना जाएगा।यह भी निर्देश दिए कि पत्र जारी करने की तारीख से संस्था में कोई भी नया रोगी भर्ती न करें। वर्तमान में भर्ती मरीजों को अन्य संस्थान में शिफ्ट करें।

यहां की शिकायत:

आरटीआई में कागज निकाले। स्वास्थ्य और महिलाओं के जीवन से जुड़े गंभीर मामले में महिला आयोग को शिकायत की। जहां से पुलिस को पत्र आया। बजाज को बयान के लिए थाने बुलाया। बाद में पुलिस बोली,चिकित्सकीय मामले की वे जांच नहीं कर सकते। खानापूर्ति कर दी गई। डॉक्टर दंपति के रजिस्ट्रेशन निरस्त करने मप्र मेडिकल कौंसिल को लिखा,जिन्होंने कार्रवाई करने सीएमएचओ को पत्र भेजा। 18 माह बीत गए।एक सीएमएचओ रिटायर हो गए,दूसरे टालामटोली कर रहे हैं।
ये दिया था जबाव:
डॉ.हेडा ने आपत्ति के प्रश्न पर यह जवाब लिखित दिया कि
आपने निरीक्षण के दौरान हमारे द्वारा एलएससीएस ऑपरेशन किए जाने पर जो आपत्ति उठायी है उसके अंतर्गत निवेदन है हमने जो भी एलएससीएस ऑपरेशन किए हैं उनको किसी न किसी गाइनेकोलॉजिस्ट द्वारा एलएससीएस करने की सलाह दी गई थी और उनका ऑपरेशन उस समय गाइनेकोलॉजिस्ट की अनुपलब्धता के कारण से हमारे पास आए थे इसलिए हमने इमरजेंसी में उनका ऑपरेशन किया था, आगे से आपके निर्देशानुसार हम एलएससीएस ऑपरेशन नहीं करेंगे।

सबसे बड़ा सवाल ये है:
इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है कि इसमें झूठ कौन बोल रहा है। तत्कालीन सीएमएचओ डॉ. सुधीर जेसानी ने निरीक्षण में यहां सीजर करना पाया। इसकी वैधता को लेकर सवाल उठाए। नोटिस जारी किया। इसके जवाब में डॉॅ. हेडा ने सफाई दी।यह भी कहा कि इमरजेंसी में आए मामलों में ऐसा किया। अब नहीं करेंगे। फिर कुछ समय ऑपरेशन शरू करने की अनुमति मांगी। यदि सब ठीक था तो सीएमएचओ ने सवाल क्यों उठाए। डॉ. हेडा ने ऑपरेशन नहीं करने की बात क्यों कही।फिर कुछ समय पर अपनी योग्यता व अनुभव प्रमाण पत्र आदि का हवाला देकर अनुमति देने का पत्र क्यों लिखा। इससे पहले जिस महिला गायनोलाजिस्टर डॉ.यामिनी मानकर के नाम का सहमति पत्र लगाया,उन्होंने यह क्यों कहा कि वे एक दो मामलों में ही वहां गई शेष में नहीं तो शेष के लिए किस स्त्री रोग विशेषज्ञ को बुलाया गया। एक सवाल यहभी है कि जब सीएमएचओ ने निरीक्षण किया और शिकायतकर्ता ने नार्मल व सीजर प्रसव के आंकडे मांगे तो केवल 4 साल के आंकडे दिए गए,इसमें भी केवल सीजर के दिए गए जो 500 हैं,इसमें एक भी केस नार्मल प्रसव का नहीं है। क्या सभी 500 मामलों में इमरजेंसी थी। इन्हें यहां पर किसने रेफर किया गया था।
जब नियम वहीं हैं तो गलती आखिर कहा हैं
वर्तमान सीएमएचओ डॉ. एपची सिंह डॉ. हेडा की डिग्री को सही बताते हैं। तत्कालीन सीएमएचओ डॉ. सुधीर जेसानी ने इसी पर सवाल उठाए,नोटिस भेजा। 18 माह में नियम भी नहीं बदले,तो फिर इसमें किसे सही और किसे गलत माना जाए। यदि डॉ. जेसानी ने मनमाने ढंग से नोटिस भेज दिया या दुर्भावना से भी यह निर्देश दिए तो डॉ. हेडा ने जवाब में इसे इमरजेंसी में किए ऑपरेशन बताते हुए आगे से आपरेशन नहीं करने की बात क्यों स्वीकारी। यदि वे सही थे तो यह क्यों नहीं लिखकर दिया वे वे इसके लिए क्वालिफाइड हैं। अब यदि वर्तमान सीएमएचओ डॉ.एचपी सिंह डॉ. हेडा दंपति को सीजर के लिए सही मानते हैं तो फिर उन्हीं नियमों के तहत डॉ.जेसानी कैसे गलत बता सकते हैं। ये ऐसे सवाल हैं,जिनके अभी जवाब नहीं मिल रहे हैं।
इनका कहना है
मैं एमबीबीएस एमएस जनरल सर्जन हूं। मैं किसी महिला चिकित्स की मौजूदगी में ऑपरेशन कर सकता हूं। जो मामले इमरजेंसी में किसी गायनोलॉजिस्ट द्वारा अनुशंसित किए गए,उन्हीं में सीजर किया,जिससे समय पर उनकी जच्चा बच्चा की जान बचाई जा सके। अनुचित मांग पूरी नहीं कर पाने के कारण संबंधित द्वारा हमारी छवि खराब की जा रही है।गर्भपात नहीं के बराबर हो रहे हैं। क्वालिफाइड एमबीबीएस डॉक्टर ही कर रहे हैं। सीजर की संख्या याद नहीं है। सालभर में करीब 60 से 100 के बीच होते हैं। हर साल आंकड़ा अलग अलग रहता है। निरीक्षण के बाद दिए निर्देशों का पालन सौ फीसदी कर रहे हैं।
-डॉ.बृजेश हेडा,संचालक व्यंकटेश हॉस्पिटल हरदा
मैं एमबीबीएस चिकित्सक हूं। जबसे अस्पताल खुला है तभी से पूरे नियमों का पालन कर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। कोरोना काल में भी पूरे समय लोगों का इलाज किया। ऐसे में हमारी छवि खराब करना अनुचित है। आरोप बेबुनियाद हैं।
-डॉ.संध्या हेडा,एमबीबीएस
सीएमएचओ से सीधी बात
डॉ.एचपी सिंह,सीएमएचओ,हरदा
डॉ.बृजेश हेडा को सीजर करने की पात्रता है
ज.वे एमएस जनरल सर्जन हैं,इमरजेंसी में कर सकते हैं।
स.यदि कर सकते हैं तो तत्कालीन सीएमएचओ ने नोटिस क्यों दिया
ज.ये वे ही ही जानें
स.क्या डॉ.हेडा बिना किसी गोयनोजाजिस्ट के सीजर कर सकते हैं
ज.हां,इमरजेंसी में,लेकिन जब कोई कोई महिला चिकित्सक मौजूद हो
स.2007 से नर्सिंग होम है। सिर्फ 4 साल में किए 500 सीजर इमरजेंसी माने जाएंगे
ज.जनरल सर्जन का ऑपरेशन करना कोई गुनाह नहीं है।
स.यदि वे योग्यता रखते हैं तो फिर सीजर की अनुमति का आवेदन बाद में क्यों दिया
ज.इस संंबंध में कोई जानकारी नहीं है

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