क्यों मनाया जाता है गंगा दशहरा पंडित देवदत्त कौशिक का कहना है कि इस दिन मां गंगा धरती पर उतरी थी। भगीरथी के अथक प्रयासों से यह सफल हो पाया था। पुराणों के अनुसार, ज्येष्ठ शुक्ल दशमी के हस्त नक्षत्र में मां गंगा धरती पर आई थीं। इस कारण इस दिन को गंगा दशहरा के नाम से पूजा जाता है।
ऐसे करें पूजा उन्होंने कहा कि गंगा दशहरे के दिन स्नान और दान करने से पापों से मुक्ति मिलती है। अगर आप 10 वस्तुओं का दान करते हैं तो शुभ फल मिलता है। अगर गंगा स्नान करने का मौका मिलता है तो वह सर्वोत्तम है। अगर ऐसा करने में असमर्थ हैं तो घर के पास किसी नदी में स्नान कर सकते हैं। उनका कहना है कि गंगा दशहरे वाले दिन व्यक्ति को सूर्य उदय से पहले जगकर गंगा स्नान कर लेना चाहिए। इस दौरान इस मंत्र का जाप भी करना चाहिए-
ऊँ नम: शिवायै नारायण्यै दशहरायै गंगायै नम इसके बाद ‘ऊँ नमो भगवते ऎं ह्रीं श्रीं हिलि हिलि मिलि मिलि गंगे मां पावय पावय स्वाहा’ मंत्र का जाप करते हुए पांच पुष्प अर्पित कीजिए। इसके साथ ही गंगा के उत्पत्ति स्थल का भी ध्यान करना चाहिए। इस दौरान नदी में 10 डुबकी लगाएं तो बेहतर होगा।
मान्यता कहा जाता है कि गंगा दशहरे वाले दिन दान का काफी महत्व है। इससे पापों से छुटकारा मिलता है। पूजा में जिस वस्तु का भी उपयोग करें, उसकी संख्या दस होनी चाहिए। जैसे अगर आप फूल लेते हैं तो उसकी संख्या 10 होनी चाहिए या दीए जलाते हैं तो उसकी संख्या 10 होनी चाहिए। फल भी 10 प्रकार के ही होने चाहिए। जरूरत मंद को दान की जाने वाली वस्तु की संख्या भी 10 होनी चाहिए।
यहां होती है भीड़ गंगा दशहरे के अवसर गढ़मुक्तेश्वर में मेला लगता है। इसमें हजारों लोग गंगा स्नान के लिए आते हैं। पंडित देवदत्त कौशिक का कहना है कि दो दिवसीय मेला 11 जून से शुरू हो जाएगा। 11 की शाम से यहां श्रद्धालु आने शुरू हो जाएंगे। इसके अलावा बुलंदशहर के अनूपशहर में भी गंगा दशहरे पर काफी भीड़ होती है।
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