क्षेत्र में नाथ संप्रदाय के डेरा बाबा मोहननाथ के गद्दीनशीन संत अक्कलनाथ (70) उर्फ बीरबलराम की हत्या के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। संत के चेले गुरदेव सिंह उर्फ़ देवनाथ ने ही संत की हत्या की थी। पुलिस ने शक के आधार पर देवनाथ को रिमांड पर लिया था।
इस दौरान पुलिस रिमांड के दौरान उसने कबूला कि उसे संत पर उसकी भतीजी के साथ अवैध संबंध होने का शक था। जिसके चलते उसने 12 जुलाई की रात को वारदात को अंजाम दिया। इस दौरान देवनाथ ने ये भी कहा कि उसे इस बात का बिल्कुल भी पछतावा नहीं है।
आरोपी के कहे अनुसार – नोखा (बीकानेर) से डेरे में संत उनके साथ वापिस आए थे। आवेश व बदला लेने की भावना से रात को चारपाई पर सोने के बाद उसने संत के सिर पर फावड़े से ताबड़तोड़ वार कर उन्हें हमेशा की गहरी नींद में सुला दिया। बाद में डेरे के पीछे की दीवार के पास गड्ढा खोद कर गाड़ दिया। किसी को शक ना हो इसलिए बनसटियां व जलावन का सामान उस पर रख दिया। चारपाई को धोकर नई चद्दर बिछा दी और फावड़े को छुपा दिया। जानकारी मिली है कि आरोपी से बरामद हुई पिस्तौल दिवंगत संत का ही है।
उसके बाद वह संत के परिजनों व डेरे में आने वालों को बरगलाता रहा। किसी को संत के मुंबई तो किसी को भटिंडा चले जाने की बात कहता रहा। लेकिन उस पर संदेह की सुई घूमते देख वह मौके से ही फरार हो गया। गुमशुदगी दर्ज होने के बाद परिजन व पुलिस सक्रिय हो गई। 19 जुलाई को पुलिस ने बदहाल स्थिति में गड्ढे में दबा शव बरामद कर लिया।