जानकारी के अनुसार प्रदेश के एक सरकारी अस्पताल में वार्मर में आग लगने के कारण नवजात झुलस गए थे। इस घटना के बाद चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों से पुराने वार्मर से संबंधित रिपोर्ट मांगी थी और डिमांड भेजने के निर्देश दिए थे। लेकिन वेंटिलेटर की तरह नए वार्मर की सप्लाई भी नहीं मिली।
सीएमएचओ विभाग की ओर से बच्चों के बेहतर इलाज के लिए जिले में ४० वेंटिलेटर की डिमांड भेजी थी। लेकिन अभी तक एक भी सप्लाई नहीं मिली। दरअसल जिले में प्राइवेट अस्पतालों की एनआईसीयू में एक माह तक के बच्चे को वेंटिलेटर पर रखने की सुविधा है। इससे अधिक उम्र के बच्चों को लिए जिले में वेंटिलेटर तक की सुविधा नहीं है।
जानकारी के अनुसार प्रदेश के एक सरकारी अस्पताल में वार्मर में आग लगने के कारण नवजात झुलस गए थे। इस घटना के बाद चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों से पुराने वार्मर से संबंधित रिपोर्ट मांगी थी और डिमांड भेजने के निर्देश दिए थे। लेकिन वेंटिलेटर की तरह नए वार्मर की सप्लाई भी नहीं मिली।
सीएमएचओ विभाग की ओर से बच्चों के बेहतर इलाज के लिए जिले में ४० वेंटिलेटर की डिमांड भेजी थी। लेकिन अभी तक एक भी सप्लाई नहीं मिली। दरअसल जिले में प्राइवेट अस्पतालों की एनआईसीयू में एक माह तक के बच्चे को वेंटिलेटर पर रखने की सुविधा है। इससे अधिक उम्र के बच्चों को लिए जिले में वेंटिलेटर तक की सुविधा नहीं है।