बांदा में पानी पर पहरा, 24 घंटे नदी की निगरानी करती है पुलिस
बुंदेलखंड में इस वक्त पारा 44 को पार कर चुका है। आसमान से आग बरस रही है, लेकिन लू और धूप के थपेड़ों के बीच लोगों को जीने के लिए पानी चाहिए। हमीरपुर ही नहीं, बुंदेलखंड के सभी सातों जिलों बांदा, चित्रकूट, महोबा, जालौन, झांसी और ललितपुर की यही हालत है। बांदा जिले में पानी पर पुलिस का पहरा लगाना पड़ा है तो चित्रकूट की एक मात्र मन्दाकिनी नदीं सूख गई है। महोबा में पीने का पानी उर्मिल बांध से आता है। यह बांध भी डेड लेबिल पर आ गया है। हमीरपुर के ग्रामीण इलाकों का हाल तो आप देख ही रहे हैं, जहां केन नदी न होती तो ग्रामीण प्यासे मर जाते।बकछा गांव के बड़े सिंह का कहना है कि पूरे गांव में खारा पानी है जो किसी भी रूप में पीने के लायक नहीं है। बांदा व भूरागढ़ का मलवा भी इस नदी में गिरता है। यह सब जानकर भी ग्रामीण इस पानी को पीने को मजबूर हैं, जिसकी वजह से लोग बीमार पड़ जाते हैं। गांव की भूरी देवी का कहना है कि बुढ़ापे में कांपते हुए डंडे के सहारे नदी से पानी लाने को मजबूर हैं, लेकिन प्यास तो बुझानी ही है, जिसके चलते आधा एक किलोमीटर दूर से पीने का पानी लाना पड़ता है। गांव में कोई कुआं या हैंडपम्प भी ऐसा नहीं है जो मीठा पानी देता हो। एक और ग्रामीण कमलेश का कहना है कि उनकी पूरी उम्र गुजर गई नदी से पानी ढोते-ढोते, बस यही नदी एक सहारा है जीने के लिए। इस गन्दे पानी को जानवर भी पीते हैं और हम लोग भी पीने को मजबूर हैं। इसी वजह से तरह-तरह की बीमारियों ग्रामीण परेशान रहते हैं। हर घर में खांसी, जुझाम, बुखार आदि से पीड़ित लोग मिल जाएंगे।
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क्या बोले जिम्मेदारगांव में कई हैंडपम्प हैं, लेकिन सभी खारा पानी देते हैं। जिलाधिकारी को गांव की विकट समस्या के बारे में कई बार लिखित तौर पर बताया जा चुका है, लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है।
जगदीश प्रजापति, ग्राम प्रधान, बकछा हमीरपुर
रामकुमार, सीडीओ हमीरपुर