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हमीरपुर

हाईकोर्ट का आदेश लेकर डीएम से मिले सपाई, जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी से जुड़ा है मामला

उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले की जिला पंचायत अध्यक्ष जयंती राजपूत को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समाजवादी पार्टी की जिला पंचायत अध्यक्ष वंदना यादव के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को अवैध करार दे दिया है।

हमीरपुरDec 05, 2020 / 10:25 am

Karishma Lalwani

हाईकोर्ट का आदेश लेकर डीएम से मिले सपाई, जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी से जुड़ा है मामला

हाईकोर्ट का आदेश लेकर डीएम से मिले सपाई, जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी से जुड़ा है मामला

हमीरपुर. उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले की जिला पंचायत अध्यक्ष जयंती राजपूत को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समाजवादी पार्टी की जिला पंचायत अध्यक्ष वंदना यादव के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को अवैध करार दे दिया है। इस नए आदेश के बाद भारतीय जनता पार्टी की हमीरपुर से जिला पंचायत अध्यक्ष जयंती राजपूत को अपना पद छोड़ना पड़ेगा और उनकी जगह हमीरपुर जिला पंचायत नई अध्यक्ष वंदना यादव बनेंगी। हमीरपुर से जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ दो अप्रैल 2018 को अविश्वास प्रस्ताव लाने के बाद चुनाव कराया गया था, जिसमें वंदना यादव की जगह जयंती राजपूत को जिला पंचायत अध्यक्ष बैठा दिया गया। मामला हाईकोर्ट पहुंचा। प्रयागराज हाईकोर्ट के जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी और सीनियर जस्टिस मुनीश्वर नाथ भंडारी की डिवीजन बेंच ने वंदना यादव के हक में फैसला सुनाते हुए अविश्वास प्रस्ताव और चुनाव को अवैध ठहराते हुए रद्द कर दिया है।
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में हमीरपुर के जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर मुलायम परिवार के करीबी रिश्तेदार पुष्पेंद्र सिंह यादव की पत्नी डॉ.वंदना यादव निर्विरोध रूप से चुनाव जीती थीं। जलालपुर सीट से सदस्य पद का चुनाव रिकार्ड वोट से जीतकर आईं वंदना यादव की 14 जनवरी 2016 को ताजपोशी हुई थी। वंदना की सपा शासनकाल में अध्यक्षी जमकर चली मगर 2017 में सत्ता परिवर्तन के बाद से ही उनकी कुर्सी डोलने लगी। 12 मार्च को जिला पंचायत सदस्य जयंती राजपूत की अगुवाई में जिला पंचायत के 12 सदस्यों ने अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित किया था। जिसमें तत्कालीन जिलाधिकारी आरपी पांडेय ने दो अप्रैल को शक्ति परीक्षण की तारीख तय की थी। इसके बाद 18 सदस्यों वाले जिला पंचायत बोर्ड के अध्यक्ष डॉ.वंदना सहित कुल 13 सदस्य मतदान करने पहुंचे। जिनमें 12 सदस्यों ने अध्यक्ष के खिलाफ मतदान किया। जिसके बाद डॉ.वंदना के करीब ढाई साल लंबे कार्यकाल का अंत हो गया जिसके बाद तत्कालीन अध्यक्ष वंदना यादव ने कोर्ट की शरण ली जिसमें लंबी सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय बंदना यादव के हक में फैसला सुनाया।

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