समुद्र मंथन में निकाला कल्पवृक्ष यूपी के इन चार शहरों में आज भी है मौजूद, हमीरपुर में है सबसे बड़ा
हमीरपुर. ऐसी कहानियां हैं कि समुद्र मंथन में निकाला कल्पवृक्ष आज भी यूपी की धरती पर विराजमान है। और एक नहीं यूपी के चार शहरों में यह कल्प वृक्ष अपना आशीर्वाद दे रहा है। माना जाता है कि यह कल्पवृक्ष आप की सभी मनोकामनाओं को पूरा करता है।
गुड़ के शौकीनियों के लिए खुशखबरी, लखनऊ में आज से शुरू हो रहा है ‘गुड़ महोत्सव’मनोकामनाएं करता है पूरी :- हमीरपुर में यमुना नदी के तट पर 1000 साल पुराना ऐतिहासिक कल्पवृक्ष है। लोगों में भारी मान्यता है कि यह कल्पवृक्ष लोगों की मनोकामना पूरी करता है। इसी मान्यता की वजह से दूर-दूर से लोग इस कल्पवृक्ष पर अपनी मनोकामनाओं के धागे बांध कर मुरादें मांगने आते हैं। दुर्लभ प्रजाति का यह कल्पवृक्ष उत्तर प्रदेश में हमीरपुर के अतिरिक्त प्रयागराज, बाराबंकी और महोबा में भी है। परन्तु हमीरपुर जिले का यह कल्पवृक्ष लम्बाई, चौड़ाई और प्राचीनता के हिसाब से बाकियों से कुछ अलग है।
कल्पवृक्ष एक कहानियां अनेक :- कल्पवृक्ष को लेकर कई कहानियां हैं। कुछ पुराणों में वर्णित हैं तो कुछ जनश्रुति के अनुसार हैं। पुराणों में कल्पवृक्ष से जुड़ी एक पौराणिक कथा है। समुद्र मंथन के समय समुद्र से 14 रत्नों निकले थे, जिसमें से एक रत्न था, कल्प वृक्ष। दूसरी कहानी है कि द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की इच्छा को पूरा करने के लिए इस कल्पवृक्ष को धरती पर लाए थे। इनमें से एक वृक्ष हमीरपुर की धरती पर यमुना के किनारे है। यह लोगों की आस्था का केंद्र है। एक दूसरी किवदंती में कहा जाता है कि, कल्पवृक्ष, भगवान कृष्ण का ही अवतार है, तो कहीं कहा जाता है कि पृथ्वी पर जब जीवन की उत्पत्ति हुई तो सबसे पहले कल्पवृक्ष ही धरती पर आया। साथ ही यह माना जाता है कि पृथ्वी के अंत के बाद भी इसका अस्तित्व रहेगा।
हमीरपुर का कल्पवृक्ष करीब 1000 साल पुराना :- हमीरपुर के कल्पवृक्ष की उम्र के बारे में अगर बता की जाए तो यह करीब 1000 साल का है। करीब से अगर आप कल्पवृक्ष को देखते हैं तो उसका तना हाथी के पैर जैसा दिखाई देगा वहीं इसकी छाल हाथी की खाल जैसी दिखती है। इस वक्त कल्पवृक्ष उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के संरक्षण में है। झाड़ की तरह दिखने वाले इस कल्पवृक्ष में पत्ते या फूल बहुत कम ही देखने को मिलते हैं। फिलहाल इस कल्पवृक्ष में थोड़े पत्ते ही बचे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार इस प्रकार के कल्पवृक्ष सिर्फ यमुना नदी के किनारे ही मिलता हैं। कल्पवृक्ष को कल्पतरु, सुरतरु, देवतरु और कल्पलता जैसे नामों से भी पुकारा जाता है।
साउथ अफ्रीका में पाया जाता है कल्पवृक्ष :- पुराणों के अतिरिक्त अगर कल्पवृक्ष के बारे में आज के वक्त बात की जाए तो साउथ अफ्रीका में कल्पवृक्ष भारी मात्रा में पाया जाता है। इस वृक्ष से 24 घंटे ऑक्सीजन पैदा होती है।
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