शिवपाल सिंह यादव के बारे में अखिलेश यादव ने ऐसा क्या बोला की सब रह गए हैरान आर्थिक स्थिति मजबूत कैमोमाइल की खेती बुंदेलखंड के हमीरपुर, ललितपुर, महोबा और चित्रकूट जिलों में हो रही है। हमीरपुर जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी धर्मजीत त्रिपाठी बताते हैं कि झांसी, हमीरपुर, महोबा और चित्रकूट के सैकड़ो किसान हाल के वर्षों में इस खेती से जुड़े हैं। खेतों में इस वक्त कैमोमाइल के फूल खिले हैं।
क्यों कहते हैं जादुई फूल कैमोमाइल की खेती पर काम करने वाली एक कंपनी की सीईओ सैफाली गुप्ता बताती हैं कि, इसका आयुर्वेद में बहुत महत्व है। इस पौधे के सत्व से होम्योपैथी दवाएं भी बनती हैं। इसीलिए इसे जादुई फूल के नाम से पुकारा जाता है। यह बंजर जमीन पर भी आसानी से उग आती है। एक एकड़ जमीन में पौने पांच कुंतल तक जादुई फूल का उत्पादन होता है। जबकि एक एकड़ की खेती पर दस से 15 हजार का खर्चा आता है। और छह माह में कम से कम एक लाख की आमदनी हो जाती है। कैमोमाइल की खेती से जुड़े किसान चंद्रशेखर तिवारी बताते हैं इसके फूलों की डिमांड राजस्थान, मध्यप्रदेश और बाबा रामदेव की कंपनियों में अधिक है।
असाध्य बीमारियों में इस्तेमाल जादुई फूल से असाध्य बीमारियों की आयुर्वेद और होम्योपैथिक में दवाएं बनती हैं। इसके फूल और तेल से बनी दवाएं मधुमेह और पेट संबंधी बीमारियों में रामबाण हैं। इस फूल की नियमित चाय पीने से शुगर और अल्सर जैसी बीमारियों में लाभ मिलता है। होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. कुंवर पाल के अनुसार जादुई फूल त्वचा के लिए गुणकारी है। अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, घबराहट, जलन चोट, मोच, खरोंच, घाव, रैसेज, पेट के विकारों के इलाज में ये फूल बहुत काम आता है।