मामला हमीरपुर के रानी लक्ष्मी बाई मोहल्ले का है जहां तिराहे के पास नेशनल हाईवे 34 के किनारे रहने वाले सरकारी सेवा से रिटायर कर्मी नूरबख्श किसी काम से अपनी पत्नी के साथ बाहर गए हुए थे। इसी दौरान उन्हें खबर मिली कि छोटे बेटे रईस (27) व उसकी पत्नी रोशनी (25), आलिया (4), भांजी (15) और उसकी दादी सकीना (85) की हत्या कर दी गई है। आनन-फानन में वे घर वापस आए तो मंजर देख उनके होश फाख्ता हो गए।
हैरान करने वाली बात यह कि इतनी बड़ी घटना को अंजाम दे दिया गया, लेकिन पड़ोसियों व आस-पास के लोगों को इसकी भनक तक नहीं लगी। आसपास घनी आबादी बावजूग इसके किसी को भी कोई चीख-पुकार सुनाई नहीं पड़ी। घटना किस समय घटित हुई इसका भी पता नहीं चल पाया है। माना जा रहा है कि वारदात को गुरुवार दोपहर 3 से 4 बजे के बीच अंजाम दिया गया है। शवों को देखने के बाद कम से कम डॉक्टरों का तो यही मानना है।
घटना स्थल पर डीएम-एसपी व चित्रकूट धाम मंडल के बांदा के डीआइजी भी पहुंचे। डीआईजी का कहना है की प्रथम दृष्टया यह प्रतीत हो रहा है कि इस घटना को पारिवारिक रंजिश की वजह अंजाम दिया गया है। पुलिस को संदेह है कि हत्याकांड में परिवार का ही कोई सदस्य शामिल हो सकता है।
मार्च 2010 में होली से कुछ दिन पूर्व थाना ललपुरा के मोराकांदर गांव में जगदीश सिंह के पूरे परिवार को मौत के घाट उतार दिया गया था। इसमें जगदीश, उनकी पत्नी और चार बच्चों को धारदार हथियारों से मार दिया गया था।