ग्वालियर। अंचल में अवैध रूप से निकल रही रेत और गिट्टी पर रोक लगाने में खनिज विभाग असफल सिद्ध हुआ है। हर दिन डबरा, गिजौर्रा, बिलौआ से निकल रही खनिज संपदा पर रोक के लिए विभाग के अधिकारी पर्याप्त स्टाफ न होने को भी इसका कारण बता रहे हैं। विभाग का अमला छुपे तौर पर यह स्वीकारता है कि खदानें वैध न होने से खनिज संपदा की चोरी हो रही है। सरकार अगर खदानों को वैध कर दे तो इस पर 80 प्रतिशत तक लगाम लगाई जा सकती है और राजस्व प्राप्ति में भी सफलता मिल सकेगी।
विभागीय सूत्र बताते हैं कि इन तीन अधिकारियों पर 5214 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की खनिज संपदा की देखरेख करने का जिम्मा है। एक माइनिंग ऑफिसर और दो इंस्पेक्टर के भरोसे इतने बड़े क्षेत्र में निरीक्षण करना व्यावहारिक तौर पर संभव नहीं है। अवैध माइनिंग को नियंत्रण में लाने के लिए कुछ समय पहले स्टेट माइनिंग कॉर्पोरेशन ने केन्द्रीय स्तर पर मिलने वाली पर्यावरण की एनओसी को सीधे जिला स्तर पर करने का सुझाव दिया था। इस सुझाव को मान्य करने के बाद जल्द ही जिला स्तर पर कमेटी गठित हो जाएगी। इसके बाद खनन को वैध करने की दिशा में काम शुरू होगा, ताकि चोरी और अवैध रूप से किए जा रहे परिवहन पर लगाम लग सके।
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इस अवैध परिवहन को रोकने के लिए जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस, परिवहन और माइनिंग विभाग के अधिकारी सब जानकर भी चुप्पी साधे हैं। सूत्र बताते हैं कि एक डंपर से प्रतिदिन थाना क्षेत्र से निकलने पर लगभग 2 हजार रुपए वसूले जाते हैं, जबकि गिट्टी के ट्रक से प्रति ट्रक 300 से 500 रुपए की अवैध वसूली होती है। इस पैसे को देने के बाद अवैध कारोबारी बेखौफ होकर सड़कों को रोंदते हैं और लोगों की जान के भी दुश्मन बन रहे हैं।
एक नजर अवैध खदानों पर
1. पर्यावरण की एनओसी न मिलने से बिलौआ में स्थित करीब 35 खदानें अवैध की श्रेणी में हैं।
2. सूखा पठा में भी काले पत्थर का उत्खनन करने के लिए लगभग 6 पट्टे हुए हैं।
3. घाटीगांव क्षेत्र में 50 से अधिक पत्थर की खदानें हैं। इनमें से ज्यादातर पत्थर वन भूमि से निकल रहा है।
4. रेत के अवैध परिवहन और उत्खनन के लिए डबरा, गिजौर्रा और भितरवार थाना क्षेत्र में 14 अवैध घाट बना लिए गए हैं।
5. इनमें से भितरवार क्षेत्र की रेत ज्यादातर ट्रैक्टर ट्रॅाली से आ रही है और डबरा-गिजौर्रा क्षेत्र की रेत डंपर से लाई जा रही है।
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