ग्वालियर। मई के पहले हफ्ते से ग्वालियर चंबल समेत समूचे प्रदेश में मौसम में नमी और गर्मी में नरमी शुरू हो जाएगी। करीब 12 साल बाद समय पर समुचित मानसून आने का श्रेय अप्रैल माह में पड़ रही भीषण गर्मी को दिया जा रहा है। मौसम विज्ञानियों का मानना है कि मध्य और उत्तरी भारत की जबरदस्त गर्मी की वजह से ही मानसून के खिचे चले आने की शत-प्रतिशत उम्मीद है।
पारे में ज्याद वृद्धि
इस साल तापमान में औसत से ज्यादा वृद्धि हुई है। जानकारों का मानना है इस साल अरब सागर से उठने वाली प्री मानसूनी हवाएं दिल्ली और निकटवर्ती भारत में समय से पहले भी दस्तक दे सकती हैं।
मध्यभारत के सटीक तपने के मायने
मध्य भारत में बेहतर तापमान से पूर्वा और पछुआ हवाओं में संतुलन बना रहता है। पूर्वा हवाएं जहां नमी लिए होती हैं। वहीं पछुआ हवाएं तेज हवाओं के साथ बादल भी लाती हैं। भारत के बीच का हिस्सा तपते ही समुद्र से हवाएं समुद्र से थल की तरफ बहने लगती हैं, जो कि यहां समय पर मानसूनी बादल ले आती हैं।
ग्वालियर-चंबल क्षेत्र मानसून उत्पत्ति के दोनों सागरों मसलन बंगाल की खाड़ी और अरब सागर के तकरीबन मध्य में पड़ता है। इसलिए यहां मानसून 15 से 25 जून के बीच आता है, लेकिन ये काफी समय रहता है। मावठ की अमृतमयी बारिश मध्य और उत्तरी भारत की जलवायु का सबसे बड़ा गुण माना जाता है।
Fact File
अरब सागर से ग्वालियर की दूरी 1100 किलोमीटर
बंगाल की खाड़ी से ग्वालियर की दूरी 1200 किलोमीटर
दोनों की तकरीबन समान दूरी होने की वजह से यहां अरब सागर से बारिश होती है, क्योंकि इस बीच हवाओं को बाधित करने कोई प्राकृतिक दशा नहीं है।
भरपूर होगी बारिश
“ग्वालियर चंबल समेत समूचे मध्यभारत में मई के पहले हफ्ते तक तपिश से कुछ राहत मिलेगी। इस बार हम लोग खुशनसीब हैं कि काफी समय बाद बारिश समय और भरपूर होगी।”
– अनुपम काश्यपी, मौसम विज्ञानी
Hindi News / Gwalior / @WEATHER: पहले तपेगा सेन्ट्रल इंडिया, फिर झूम के बरसेगा सावन